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'डॉक्टरों की लापरवाही सिर्फ परिजनों के असंतोष से नहीं साबित होती', Delhi HC ने अस्पताल में हुई महिला की मौत मामले में कहा

यह मामला साल 2016 का है, जब याचिकाकर्ता की पत्नी की मृत्यु एक निजी अस्पताल में हुआ था, इसे लेकर याचिकाकर्ता ने चिकित्सकों पर लापरवाही, दवा और जांच में देरी, और अधिक खुराक देने का आरोप लगाया है.

दिल्ली हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : January 1, 2025 12:26 PM IST

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की मौत के मामले में चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग याचिका खारिज की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चिकित्सा लापरवाही केवल परिजनों के असंतोष व्यक्त करने से स्थापित नहीं होती है. अदालत ने कहा कि मरीज के ट्रीटमेंट के दौरान चिकित्सकों को उचित कौशल और क्षमता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए. बता दें कि यह मामला साल 2016 का है, जब याचिकाकर्ता की पत्नी की मृत्यु एक निजी अस्पताल में हुआ था, इसे लेकर याचिकाकर्ता ने चिकित्सकों पर लापरवाही, दवा और जांच में देरी, और अधिक खुराक देने का आरोप लगाया है.

चिकित्सा लापरवाही केवल असंतोष से स्थापित नहीं होती: हाईकोर्ट

जस्टिस संजीव नरूला ने 20 दिसंबर के अपने फैसले में कहा कि चिकित्सकों को मरीज के परिवार की अपेक्षाओं या निर्धारित समय-सीमा से बाध्य नहीं होना चाहिए।

जस्टिस ने कहा,

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“यह याद रखना अत्यंत अहम है कि चिकित्सकीय लापरवाही सिर्फ असंतोष या देखभाल के अपेक्षित मानक के दावे से स्थापित नहीं होती है. यह स्वीकार किया जाता है कि चिकित्सकों से अपेक्षा की जाती है कि वे उचित स्तर की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करें. चिकित्सा लापरवाही निर्धारित करने का उचित मानदंड यह आकलन करने में निहित है कि क्या चिकित्सक द्वारा उठाए गए कदम संबंधित क्षेत्र में उचित रूप से सक्षम चिकित्सक के स्वीकृत मानकों से नीचे है.”

अदालत ने कहा कि चिकित्सकों का दायित्व मरीज के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और सबसे उपयुक्त उपचार प्रदान करना है, लेकिन उन्हें मरीज के परिवार द्वारा निर्धारित अपेक्षाओं या समय-सीमाओं से बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.

क्या है मामला?

याचिकाकर्ता व्यक्ति की पत्नी की 2016 में एक निजी अस्पताल के कुछ चिकित्सकों की कथित लापरवाही के कारण मृत्यु हो गई थी. याचिकाकर्ता के आरोप तीन चिकित्सकों के अलावा दवा और जांच में देरी, वरिष्ठ चिकित्सक की अनुपलब्धता और दवा की अधिक खुराक से संबंधित थे.

जस्टिस ने कहा कि यदि किसी चिकित्सक ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन उचित कौशल और क्षमता के साथ किया है, तो उसे लापरवाह नहीं माना जा सकता है और उन्हें चिकित्सीय आवश्यकता और पेशेवर निर्णय लेते हुए ही कार्य करना चाहिए.

(खबर PTI इनपुट से है)