मुंबई: केंद्र ने बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) से कहा कि वह सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ प्रसारित फर्जी खबरों की पहचान के लिए अपनी तथ्य-अन्वेषण (फैक्ट चेक) इकाई को 10 जुलाई तक अधिसूचित नहीं करेगा। इस बीच, उच्च न्यायालय में केंद्र द्वारा हाल में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के खिलाफ दो और याचिकाएं दायर की गईं।
केंद्र सरकार ने इससे पहले अप्रैल में उच्च न्यायालय से कहा था कि तथ्य-अन्वेषण इकाई को पांच जुलाई तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा। सरकार ने अदालत को यह आश्वासन उस समय दिया था, जब वह स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नये सूचना प्रौद्योगिकी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
बुधवार को न्यायमूर्ति गौतम पटेल (Justice Gautam Patel) और न्यायमूर्ति नीला गोखले (Justice Neela Gokhale) की खंडपीठ को सूचित किया गया कि नए आईटी नियमों को चुनौती देते हुए दो और याचिकाएं दायर की गई हैं। ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild of India) और ‘एसोसिशन ऑफ इंडियन मैग्जीन’ (Association of Indian Magazine) द्वारा दायर इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि नये नियम मनमाने और असंवैधानिक हैं।
खंडपीठ ने कहा कि वह छह जुलाई से तीनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। उसने कहा, “हम अंतिम निपटारे के लिए याचिकाओं पर छह जुलाई से सुनवाई करेंगे। याचिकाकर्ताओं के वकील सात जुलाई तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे, जिसके बाद हम केंद्र सरकार को उसकी दलीलें पेश करने के लिए तारीख देंगे।”
अदालत ने कहा, “सुनवाई की तारीख तय होने के मद्देनजर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा (तथ्य-अन्वेषण इकाई को अधिसूचित न किए जाने के संबंध में) पहले दिया गया आश्वासन अब 10 जुलाई तक लागू होगा।”
केंद्र सरकार ने छह अप्रैल को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (The Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021) में कुछ संशोधन किए थे। संशोधनों के तहत, सरकार ने उससे संबंधित फर्जी, झूठी और भ्रामक ऑनलाइन सामग्री की पहचान के लिए एक तथ्य-अन्वेषण इकाई के गठन का प्रावधान भी किया था।
तीनों याचिकाओं में उच्च न्यायालय से संशोधित नियमों को असंवैधानिक करार देने और सरकार को इन नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई न करने का निर्देश देने की अपील की गई है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अप्रैल में कामरा की याचिका पर दायर अपने हलफनामे में जोर देकर कहा था कि तथ्य-अन्वेषण इकाई की भूमिका सिर्फ केंद्र सरकार से जुड़े मामलों तक सीमित है, जिनमें नीतियों, योजनाओं, अधिसूचनाओं, नियमों, नियामकों और कार्यान्वयन आदि से संबंधित सूचनाएं शामिल हैं।
हलफनामे में कहा गया था, “तथ्य-अन्वेषण इकाई सिर्फ फर्जी, झूठी और भ्रामक सूचनाओं की पहचान करेगी, न कि किसी मत, व्यंग्य या कलाकार द्वारा की गई व्याख्या की। इसलिए, संबंधित प्रावधान लाने का सरकार का उद्देश्य पूरी तरह से स्पष्ट है और यह कोई मनमानी नहीं है, जैसा कि याचिकाकर्ता (कामरा) द्वारा आरोप लगाया गया है।”