Divorce Case: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में कहा कि पत्नी का आत्महत्या का प्रयास करना और फिर इसका दोष अपने पति और ससुराल वालों पर मढ़ना क्रूरता (Cruelty) है और ये तलाक का आधार है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की डिवीजन बेंच ने कहा कि इस तरह का आचरण से पति और उसके परिवार को झूठे मामलों में फंसाए जाने का लगातार खतरा रहेगा. दरअसल, फैमिली कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर एक व्यक्ति को तलाक लेने की इजाजत दी थी. महिला ने इसके खिलाफ अपील किया था. अब हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी.
2007 में हुई थी शादी
साल 2007 में दोनों ने शादी की. उनको एक बच्चा पैदा हुआ. मामले में पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी शादी के चार महीने बाद ही वैवाहिक घर छोड़कर चली गई. इसके साथ ही पत्नी ने पुलिस में देहज की मांग को लेकर शिकायत भी दर्ज कराई थी.
कोर्ट को बताया गया कि दिसंबर 2009 में पत्नी ने भी मच्छर भगाने वाला तरल पदार्थ पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही पत्नी ने दावा किया था कि उसे सुसाइड नोट लिखने के लिए मजबूर किया गया था, अपनी जिरह में उसने स्वीकार किया कि जब उसने आत्महत्या करने का प्रयास किया तो उसका पति घर पर भी नहीं था. पत्नी ने कई शिकायतें दर्ज की थीं और इसके साथ ही पत्नी ये सुनिश्चित करने के लिए अपील दायर करती रही कि उसे और उसके परिवार के सदस्यों को जेल में डाल दिया जाए.
कोर्ट ने आगे कहा,
" इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो गलत किया गया है उसके लिए सहारा लेने का कानूनी अधिकार है, लेकिन प्रतिवादी या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा दहेज की मांग या क्रूरता के कृत्यों के निराधार आरोप लगाना और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करना क्रूरता है."
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी ने पति के साथ क्रूरता की है. इसलिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) के तहत पति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है.