सबरीमला मंदिर के गर्भगृह के सामने द्वारपालकों (संरक्षक देवताओं) की मूर्तियों पर लगी सोने की परत वाली तांबे की चादरें, जिन्हें मरम्मत के लिए चेन्नई भेजा गया था, मंदिर में वापस ला दी गई हैं. यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब केरल हाई कोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) की आलोचना करते हुए कहा था कि ये चादरें उसकी अनुमति के बिना हटाई गईं और चेन्नई भेजी गईं. हाई कोर्ट ने सोने की चादरों के वजन में कमी भी पाई है और मामले की सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं.
टीडीबी अधिकारियों के अनुसार, मरम्मत का काम पूरा होने के बाद सोने की चादरों को रविवार को चेन्नई से वापस लाया गया. अनुष्ठान के बाद और पुजारी की सहमति से इन्हें फिर से स्थापित किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि वे जल्द ही हाई कोर्ट को चादरों के वापस आने की जानकारी देंगे. हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि रिकॉर्ड के अनुसार 2019 में जब इन चादरों को और सोना चढ़ाने के लिए हटाया गया था, तब इनका वजन 42.8 किलोग्राम था. हालांकि, जब इन्हें काम करने वाली कंपनी के पास भेजा गया, तो इनका वजन 38.258 किलोग्राम दर्ज किया गया. सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (वीएसीबी) ने मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है.
बता दें कि सबरीमाला से चार किलोग्राम सोना गायब होने के मुद्दे पर चर्चा के लिए शुक्रवार को केरल विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव की मांग को अध्यक्ष ए एन शमशीर द्वारा खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष ने सदन से बर्हिगमन किया. विधानसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए प्रस्ताव से इनकार कर दिया कि सदन संचालन प्रक्रिया नियमों के अनुसार, न्यायालय में विचाराधीन मामलों या मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती.
वर्ष 2019 में सबरीमला गर्भगृह के सामने स्थित ‘द्वारपालक’ (रक्षक देवता) की मूर्तियों पर चढ़ी सोने की परत वाली तांबे की प्लेटों को हटाए जाने के समय वजन में हुई कमी को केरल हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया और बुधवार को इस मामले में सतर्कता जांच के आदेश दिए. अदालत ने कहा था कि जब यह आवरण (क्लैडिंग) सोने की परत चढ़ाने के लिए भेजा गया तो उसके वजन में 4.541 किलोग्राम की एक स्पष्ट और अस्पष्टीकृत कमी पाई गई, जो कि सन्निधानम में मूर्तियों से हटाए जाने के समय दर्ज वजन की तुलना में थी.