नई दिल्ली: दुष्कर्म और धोखाधड़ी जैसे मामलों में जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री पसाद प्रजापति को MP/MLA कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में MP/MLA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने इन याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया.
कुछ समय पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति को जिला अदालत के द्वारा जमानत देने का फैसला सुनाया गया था. इसके बाद सरकार ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने का फैसला लिया. हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी पूर्व मंत्री की जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया और निचली अदालत को नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया.
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ज्वाला प्रसाद ने बताय कि पहली रिपोर्ट 10 सितंबर 2020 को दर्ज कराई गई थी. इसे वादी दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने दर्ज कराया था. वादी का कहना था की वो चित्रकूट की उस महिला का वकील था, जिसने गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ दुष्कर्म काम मामला दर्ज कराया था. इसमें वादी ने गायत्री प्रसाद की जमानत याचिका ख़ारिज भी कराई थी.
वादी का कहना है कि इसके बाद लड़की ने गायत्री प्रसाद त्रिपाठी से समझौता कर लिया और गायत्री प्रजापति के पक्ष में बयान कराने और शपथपत्र देने के लिए कहने लगे. जब उसने ऐसा करने से मना कर दिया तो आरोपितों ने झूठा मुक़दमा दर्ज कराने की धमकी दी और वादी की गाडी भी ले ली. इतना ही नहीं उसकी फीस देने से भी इनकार कर दिया.
वही दूसरी रिपोर्ट पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की कंपनी के निदेशक रहे बृज भुवन चौबे ने 17 सितम्बर2020 को गोमतीनगर विस्तार में आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अनिल प्रजापति और चित्रकूट की महिला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसमें दावा किया गया था कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला के समझौते के लिए, आरोपियो ने वादी की पत्नी को धमकाकर गोमतीनगर विस्तार स्थित जमीन को उस लड़की के नाम करवा दिया.