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सभी हॉस्पीटल POCSO, Acid and Rape Survivors का करेंगे मुफ्त इलाज, जानें किन वजहों से Delhi HC ने सुनाया ये फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा ही मामला आया, जिसमें पॉक्सो, रेप और एसिड सर्वाइवर को मुफ्त में इलाज मुहैया कराने में हो रही कठिनाइयों का जिक्र किया गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए देश में संचालित सभी सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को मुफ्त इलाज मुहैया कराने का आदेश दिया है. 

दिल्ली हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : December 24, 2024 12:25 PM IST

पॉक्सो, एसिड और रेप पीड़िताओं को इलाज मुहैया कराने में अधिकांश अस्पताल हिकचिकाते हैं. अस्पताल कानूनी पहलुओं को बताकर इलाज से इंकार कर देते हैं. ऐसे में देरी से इलाज होने से कभी-कभी भयावह अंजाम भी देखने को मिलता है. दिल्ली हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा ही मामला आया, जिसमें पॉक्सो, रेप और एसिड सर्वाइवर को मुफ्त में इलाज मुहैया कराने में हो रही कठिनाइयों का जिक्र किया गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए देश में संचालित सभी सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को मुफ्त इलाज मुहैया कराने का आदेश दिया है. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला रेप पीड़िता के पिता के अपील पर आया, जिस पर अपनी ही बेटी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा है.

प्राइवेट, सरकारी और नर्सिंग होम्स भी करेंगे मुफ्त इलाज: HC

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस एम प्रतिभा सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने रेप पीड़िता को मुफ्त इलाज मिलने में हो रही कठिनाइयों पर विचार करते हुए एक दिशानिर्देश जारी किया है. बेंच ने नोट किया कि अदालतों के समक्ष नियमित रूप से कई बलात्कार और POCSO मामले आते हैं, जिनमें पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है.

अदालत ने कहा,

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"सभी केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त अस्पतालों को यह नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा. यह आदेश निजी अस्पतालों, क्लीनिकों और नर्सिंग होम्स को भी इन नियमों का पालन करना होगा. सभी चिकित्सा केन्द्र यह सुनिश्चित करेंगे कि एसिड, यौन उत्पीड़न के शिकार और POCSO मामलों के पीड़ितों को चिकित्सा उपचार से वंचित नहीं किया जाएगा और उन्हें सभी आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाएं."

आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने 'इलाज' शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि पीड़ितों को  प्राथमिक चिकित्सा, अस्पताल में भर्ती करना, निरंतर बाह्य सहायता, डॉयगनोस्टिक टेस्ट, लैब टेस्ट, आवश्यक होने पर सर्जरी, शारीरिक और मानसिक काउंसिलिंग, मनोवैज्ञानिक सहायता, परिवार परामर्श भी उपलब्ध करायेंगे.

इलाज नहीं देने पर चलेगा मुकदमा: HC

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशानिर्देश में साफ तौर पर कहा है कि आपात स्थिति में लाए गए पीड़ित/जीवित व्यक्ति से पहचान पत्र और पैसे की मांग नहीं की जाएगी, साथ ही उसे तत्काल इलाज मुहैया कराया जाएगा. यदि कोई डॉक्टर या संस्थान आवश्यक इलाज देने से मना करता है, तो यह दंडनीय अपराध माना जाएगा और उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, पिता की अपील पर फैसला सुनाने के लिए अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के स्थगित किया है.