नई दिल्ली: देश में मौत की सजा के लिए दोषी को फांसी पर लटकाए जाने के तरीके पर सवाल खड़े करते हुए Supreme Court ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि क्या यह सबसे उपयुक्त दर्द रहित तरीका है.
CJI DY Chandrachud, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने इस मामले में केन्द्र सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया हैं.
सीजेआई की पीठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए है. इस याचिका में देश में फांसी से मौत की सजा देने के चलन को खत्म करने और इसके बजाय इंजेक्शन या बिजली के झटके जैसे वैकल्पिक तरीकों को अपनाने का अनुरोध किया गया है.
Supreme Court ने केन्द्र सरकार को फांसी के जरिए मौत की सजा दिए जाने से संबंधित विवरण पेश करने के आदेश दिए है जिसमें फांसी की सजा से उस व्यकित पर होने वाले प्रभाव और दर्द के बारे में कोई अध्ययन किया गया हो.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार को एक विशेषज्ञ समिति के गठन का सुझाव दिया, जो यह जांच करेगी कि फांसी से मौत, मौत की सजा को लागू करने के लिए सबसे उपयुक्त और दर्द रहित तरीका है या नहीं.
CJI ने अटॉनी जनरल से कहा कि हमारे पास फांसी से मौत के प्रभाव, दर्द के कारण और ऐसी मौत होने में लगने वाली अवधि, मौत से ऐसी फांसी को प्रभावित करने के लिए संसाधनों की उपलब्धता पर हमारे पास बेहतर डेटा होना चाहिए.
पीठ ने कहा कि आज का विज्ञान हमें क्या सुझाव दे रहा है कि यह आज का सबसे अच्छा तरीका है या कोई और तरीका है जो मानवीय गरिमा को बनाए रखने के लिए अधिक उपयुक्त है"
पीठ ने कहा कि अगर सरकार ने इस तरह का कोई अध्ययन नहीं किया है, तो यह हमारा सुझाव है कि वह इस पर एक अध्ययन करने के लिए एक समिति बना सकती है.
पीठ ने समिति में एनएलयू दिल्ली, बैंगलोर या हैदराबाद जैसे राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ, एम्स के कुछ डॉक्टर, देश भर के प्रतिष्ठित लोग और कुछ वैज्ञानिक विशेषज्ञ शामिल करने का सुझाव दिया है.
सीजेआई ने कहा कि हम अभी भी इस निष्कर्ष पर आ सकते हैं कि फांसी से मौत उचित है लेकिन हमें एक अध्ययन से सहायता की जरूरत है.
अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा की इस याचिका में तर्क दिया गया है विधि आयोग ने अपनी 187वीं रिपोर्ट में कहा था कि उन देशों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिन्होंने फांसी को समाप्त कर दिया और इसके स्थान पर बिजली के झटके, गोली मारने या घातक इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया.
याचिका पर सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश हुए अधिवक्ता मल्होत्रा में कहा गया है कि फांसी निस्संदेह तीव्र शारीरिक यातना और दर्द देने वाली सजा है. उन्होने कहा कि हमारे देश में फांसी पर लटकाने की प्रक्रिया बिल्कुल क्रूर और अमानवीय है।
अधिवक्ता ने कहा कि देश में फांसी देने के लिए मुश्किल से जल्लाद उपलब्ध होते हैं और दिल्ली में फांसी के लिए ऐसे जल्लाद कलकत्ता, मुंबई आदि से बुलाए जाते हैं.