गुरूवार (04 अप्रैल, 2024) के दिन सुप्रीम कोर्ट में आयोजित फुल-कोर्ट रेफरेंस में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिवंगत दिग्गज न्यायविद् और सीनियर एडवोकेट फली एस नरीमन को याद किया. सीजेआई ने कहा, हमें फली एस नरीमन से उनके विचारों, नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर टिके रहने की सीख लेनी चाहिए. इमरजेंसी के समय में जब हर तरफ चुप्पी छाई थी, तब दिवंगत न्यायविद् फली एस नरीमन देश की आवाज बनें थे. आपको बता दें कि 95 वर्षीय दिग्गज वकील फली एस नरीमन का निधन इसी साल 21 फरवरी को हुआ था.
सीजेआई ने फुल-कोर्ट रेफरेंस को संबोधित किया. अपने वक्तव्य में सीजेआई ने फली एस नरीमन से जुड़ी हुई यादों को साझा किया.
सीजेआई ने कहा,
"हाल ही में संविधान पीठ के फैसले पर उनके (फली एस नरीमन) निधन से ठीक पहले मुझे एक पत्र मिला था. कठिन समय में जब कई आवाजें खामोश हो गईं, तब उनका सशक्त स्वर राष्ट्र की आवाज था. उनके कार्य न्याय की सेवा करने वाले कई लोगों के लिए हमेशा एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी."
सीजेआई ने फली एस नरीमन द्वारा आपातकाल लागू होने के बाद एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के पद इस्तीफा देने के फैसले का जिक्र किया.
सीजेआई ने कहा,
"जब आपातकाल लगाया गया था, तो एएसजी नरीमन (जैसा कि वह तब थे) ने इस्तीफा दे दिया था और ऐसा करके उन्होंने जाहिर किया था कि इमरजेंसी लागू करना सही नहीं था."
सीजेआई ने कई महत्वपूर्ण फैसलों में फली एस नरीमन के योगदान का जिक्र भी किया. सीजेआई ने बताया, फली एस नरीमन ने शैक्षणिक संस्थान में अल्पसंख्यक अधिकारों की बात की, जिसकी टीएमए पाई फैसले में लागू किया गया. सीजेआई ने कहा, फली एस नरीमन ने व्यस्कों के बीच सहमति से बने यौन संबंध को अपराध नहीं बनाने पर भी जोड़ दिया था.
सीजेआई ने कहा,
"बड़े-बूढ़े केवल मरते हैं, लेकिन कभी मिटते नहीं है."
अपने वक्तव्य के दौरान सीजेआई ने बताया कि फली एस नरीमन को अपने आदर्शों के प्रति एकनिष्ठ थे.