नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) 1860 में अपराध और उससे जुड़ी हर छोटी सी बड़ी सजा के बारे में जानकारी दी गई है. Mylord आपको आईपीसी के चैप्टर पांच जो दुष्प्रेरण (Abetment) के विषय में है उसके अंतर्गत आने वाली धारा 107, धारा 108, 108A और 109 के बारे में पूरी जानकारी दे चुका है. चैप्टर पांच के ही धारा 110 के बारे में आइए आसान भाषा में समझते हैं.
IPC की धारा 109 में अपराध के दुष्प्रेरण पर क्या सजा दी जाए इसका जिक्र किया गया है. धारा 110 में इस बात का जिक्र है जब कोई किसी को किसी अपराध के लिए उकसाता है और जिस अपराध के लिए उकसाया गया था. वो ना होकर कोई और अपराध हो जाय तो उकसाने वाले को क्या सजा मिलती है.
धारा 110 के अनुसार दुष्प्रेरण का दंड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न कार्य करता है- जो कोई किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति के आशय या ज्ञान से भिन्न आशय या ज्ञान से वह कार्य किया हो, तो वह उसी दंड से दंडित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है. जो किया जाता यदि वह कार्य दुष्प्रेरक के ही के ही आशय या ज्ञान से, ना कि किसी अन्य आशय या ज्ञान से, किया जाता.
आसान भाषा में अगर कोई किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए बहकाता है. वो व्यक्ति बहकावे में आकर बताए गए अपराध के बजाय कोई और अपराध करें तो ऐसी स्थिति में बहकाने वाले को वही सजा मिलेगी जिस अपराध के लिए उसने बहकाया था. भले ही वो अपराध ना हो कर कोई अपराध हुआ हो, फिर भी.
जैसे - राम ने श्याम को राजेश की हत्या के लिए उकसाया, लेकिन श्याम ने राजेश की हत्या करने के बजाय केवल राजेश को मार पीट कर छोड़ दिया. ऐसे में राम को मार पीट की सजा नहीं मिलेगी. बल्कि राम ने हत्या के लिए श्याम को बहकाया था तो राम को हत्या के लिए ही सजा मिलेगी.
जैसे- राम ने श्याम को कहा कि जाओ राजेश के घर में आग लगा दो. यहां श्याम ने राजेश के घर में आग लगाने के बजाय उसके घर का केवल दरवाजा तोड़ा. तो ऐसे में राम को केवल दरवाजा तोड़ने के लिए सजा नहीं मिलेगी बल्कि घर में आग लगाने के लिए सजा मिलेगी भले ही आग ना लगी हो