नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 107 (Section 107) के तहत दुष्प्रेरण के बारे में बताया गया है. दुष्प्रेरण यानि उकसाने (Abetment) के बारे में यह धारा है. हम आपको बताएंगे कि धारा (Section) 107 क्या है और कब लगाई जाती है. इससे जुड़ी पूरी जानकारी जाने यहां.
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 107 किसी बात के दुष्प्रेरण के लिए लगाई जाती है. यानि अगर कोई किसी व्यक्ति को किसी बात के लिए दुष्प्रेरण (उकसाता) करता है तब यह धारा लगाई जाती है. इसका जिक्र चैप्टर 5 में किया गया है.
1. किसी बात को करने के लिए किसी को उकसाना.
2. उस बात को करने लिए एक या एक से ज्यादा लोगों के साथ मिल कर कोई साजिश करना. अगर उस षडयंत्र के अनुसरण (Following a onspiracy) में, कोई कार्य या अवैध चूक होती है.
3. उस बात को अंजाम देने में किसी की अंजान बन कर या सिधे तौर पर सहायता करना.
जैसे- राम को पुलिस गिरफ्तार करने आती है तभी राजेश ने रोहन को राम बता कर उसे गिरफ्तार करवा दिया. ऐसे में राजेश पर धारा 107 लागू होगी.
साधारण भाषा में कहा जाय तो दुष्प्रेरण (Abetment) का मतलब है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए, और अगर वह व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है, तो उसे वह कार्य करने से रोकने के लिए उकसाना या प्रेरित करना. लेकिन हर बार सामान्यतः किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए उकसाना कोई अपराध (Offence) नहीं माना जाता है. लेकिन ये उकसाना तब दंडात्मक हो जाता है जब किसी को दोषपूर्ण काम करने के लिए उकसाया जाता है. जब भी ऐसे किसी दुष्प्रेरण में कोई गैर कानूनी बात आ जाएगी, तो ऐसा दुष्प्रेरण एक अपराध माना जाएगा.
भारतीय दंड संहिता ( IPC) भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) के बारे में बताती है. यह भारतीय सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी, लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.