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LIVE: तब तक Waqf Act 2025 के अनुसार कार्रवाई नहीं हीं किया जाएगा', केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया आश्वासन, 5 मई को अगली तारीख

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश पास करने ही वाला था, लेकिन सरकार की ओर से SG तुषार मेहता और दूसरे वकीलों के अनुरोध पर कोर्ट ने ऐसा नहीं किया और सुनवाई टाल दी. अब कोर्ट इस मामले में फिर से सुनवाई करेगी.

Waqf Amendment Act

Written by Satyam Kumar |Published : April 17, 2025 2:04 PM IST

बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए है कि वो वक़्फ संशोधन क़ानून के कुछ प्रावधानों पर फिलहाल रोक सकता है. कोर्ट ने इसको लेकर अंतरिम आदेश पास करने के संकेत दिए है. कोर्ट ने कहा है कि वो अपने आदेश में इस क़ानून के तीन पहलुओं को लेकर व्यवस्था दे सकता है. कोर्ट ने कहा है कि वो ये अंतरिम आदेश में व्यवस्था देगा कि जिन प्रॉपर्टी को कोर्ट के आदेश द्वारा वक्फ घोषित किया जा चुका है,फिर भले ही waqf by user हो या waqf by deed हो. उन्हें नए वक़्फ़ कानून के तहत डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा यानि उनकी स्थिति पहले जैसी बने रहने दी जाए. कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश पास करने ही वाला था, लेकिन सरकार की ओर से SG तुषार मेहता और दूसरे वकीलों के अनुरोध पर कोर्ट ने ऐसा नहीं किया और सुनवाई कल के लिए टाल दी. अब कोर्ट इस मामले में कल फिर से जिरह सुनेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अंतरिम आदेश में व्यवस्था देगा कि

  • जिन प्रॉपर्टी को कोर्ट के आदेश द्वारा वक्फ घोषित किया जा चुका है उन्हें नए वक़्फ़ कानून के तहत denotify नहीं किया जाएगा।
  • विवादित प्रॉपर्टी के मामले में कलेक्टर जांच जारी रख सकते हैं लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा।
  • EX offico मेम्बर को छोड़कर काउंसिल और बोर्ड के सभी सदस्य मुस्लिम हों

कोर्ट ने कहा कि वो अंतरिम आदेश में ये व्यवस्था दे सकता है की विवादित प्रॉपर्टी के मामले में कलेक्टर जांच जारी रख सकते हैं लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा. इसके साथ ही वो अंतरिम आदेश में ये कह सकता है कि पदेन सदस्यों (Ex offico member) को छोड़कर काउंसिल और बोर्ड के सभी सदस्य मुस्लिम होंगे.

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SC का सरकार से सवाल

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नए क़ानून के कुछ प्रावधानों को लेकर सवाल भी किए. कोर्ट ने पूछा कि क्या इस क़ानून के ज़रिए waqf-by-user प्रोपर्टी को वक़्फ मानना पूरी तरह बंद कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले हमारे पास कोई रजिस्ट्रेशन को लेकर कोई क़ानून नहीं था. ज़्यादातर मस्जिद 14 वीं या 15 वी सदी की है. जामा मस्जिद जैसी ज़्यादातर मस्जिद waqf by यूजर है. अब उनसे रजिस्ट्रेशन डीड पेश की मांग करना कितना व्यवहारिक है.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि क्या यह कहना सही होगा कि अगर किसी विवादित वक़्फ प्रॉपर्टी के सरकारी ज़मीन पर होने या न होने की कोई सरकारी अधिकारी जांच कर रहा है तो जांच के जारी रहने के दौरान उस संपत्ति को वक़्फ न माना जाए. ये बात सिविल कोर्ट के लिए क्यों नहीं छोड़ देनी चाहिए!

आप ये नहीं कह सकते कि Waqf by user के सारे मामलों में गड़बड़ी ही होती है, आज की तारीख में पुरानी प्रॉपर्टी को रजिस्ट्रेशन कैसे होगा. हमने मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसले भी देखे हैं। Waqf by user को मान्यता दी गई है. अगर आप इसे पलटते है तो इससे समस्या होगी. क्या आप ये सुनिश्चित करेंगे कि संशोधन के बाद सेंट्रल वक़्फ़ काउंसिल और बोर्ड में ज़्यादातर मेंबर मुस्लिम होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने इस नए क़ानून के मुताबिक वक़्फ काउंसिल और बोर्ड में ग़ैरमुस्लिमों की एंट्री की इजाज़त दी है , क्या आप हिंदू धर्माथ बोर्ड में मुस्लिम सदस्यों को इजाज़त देने वाले है? तिरुपति टेंपल बोर्ड में सिर्फ हिंदू ही है.

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