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Live In Relationship में रहनेवाले कपल्स पर भी लागू है UP Anti Conversion Law: Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहनेवाले कपल्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने गैरकानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम कानून, 2021 अलग धर्म में शादी करने के मामलों के साथ-साथ लिव-इन में रहनेवाले कपल्स पर भी लागू होने की बात कहींं.

Written by My Lord Team |Updated : March 13, 2024 6:34 PM IST

Anti Conversion Law: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहनेवाले कपल्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने गैरकानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम कानून, 2021 अलग धर्म में शादी करने के मामलों के साथ-साथ लिव-इन में रहनेवाले कपल्स पर भी लागू होने की बात कहींं. हाईकोर्ट ने हिंदू-मुस्लिम कपल द्वारा सुरक्षा की मांग याचिका को अस्वीकार करते हुए उपरोक्त बातें कहीं. 

Live In Relationship पर भी लागू है कानून

जस्टिस रेणु अग्रवाल ने हिंदू-मुस्लिम जोड़े की याचिका पर सुनवाई की. इन दोंनो ने आर्य समाज पद्धति से आपस में शादी की हैं. इन याचिकाकर्ताओं ने अपना धर्म नहीं बदला है, जिसके चलते उन्हें इस कानून के तहत सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती है. 

वहीं, धर्म परिवर्तन रोकथाम कानून के अनुसार, अंतरधार्मिक जोड़ो के लिए धर्मांतरण के लिए आवेदन करना जरूरी है. धर्मांतरण विरोधी कानून के अनुसार धर्म परिवर्तन का पंजीकरण कराना आवश्यक है. पंजीकरण से शादी के उद्देश्यों के साथ-साथ शादी के संबंधों की प्रकृति के लिए भी आवश्यक है.

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कोर्ट ने कहा, 

“इसलिए धर्मांतरण अधिनियम विवाह या लिव-इन-रिलेशनशिप की प्रकृति के संबंधों पर लागू होता है.”

उच्च न्यायालय ने धर्मातरण विरोधी कानून की धारा 3(1) का विचार करते हुए कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू होता है. याचिकाकर्ताओं की मांग को पूरा किया नहीं किया जा सकता है. उन्होंने धर्मांतरण कानून के तहत धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं किया है. 

क्या है मामला?

एक मुस्लिम महिला ने आर्य समाज की रीति से हिंदू व्यक्ति से शादी की. शादी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है. रजिस्ट्रेशन अभी लंबित है. वहीं, सुनवाई के दौरान राज्य ने कहा कि उन्हें इस मामले से जुड़े धर्म-परिवर्तन के लिए कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है. राज्य ने कहा कि मुस्लिम महिला आर्य समाज के रीति रिवाजों से शादी नहीं कर सकती हैं.

हालांकि, कोर्ट ने  धर्म परिवर्तन के पंजीकरण के लिए आवेदन करने में अंतर-धार्मिक जोड़े की विफलता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा की मांग याचिका को खारिज किया.