नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हुई गलती में सुधार करते हुए पूर्व में दिए गए फैसले के तहत संयुक्त रूप से 98 करोड़ की राशि प्राप्त करने वाले दो व्यक्तियों को उस राशि को लौटाने के आदेश दिए है.
अदालत ने दोनों को राशि वापस करने और भुगतान प्राप्त होने की तारीख से 9% ब्याज के साथ अदालत में जमा करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने Indore Development Authority में दिए अपने फैसले के अनुसार अपने आदेश में की गई त्रुटि को दूर करने के लिए बहाली के सिद्धांत को लागू किया.
Chief Justice of India DY Chandrachud और Justice MR Shah ने अपने फैसले में कहा कि "निर्धारित कानून के अनुसार, अदालत के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने वाले पक्ष द्वारा प्राप्त किसी भी अयोग्य या अनुचित लाभ को निष्प्रभावी किया जाना चाहिए, क्योंकि मुकदमेबाजी की संस्था को अदालत के अधिनियम द्वारा किसी भी लाभ को प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है."
यह मामला 26 एकड़ और 19 गुंटा भूमि की बिक्री से संबंधित है, जो मैसर्स देवास ग्लोबल सर्विसेज एलएलपी के पक्ष में यूनिटेक लिमिटेड के स्वामित्व में थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यूनिटेक ने तर्क दिया था कि वह जमीन का पूर्ण मालिक है इसलिए वह उस भूमि के बदले 172.08 करोड़ रुपये के पूरे का हकदार था।
इस मामले में अदालत ने कुल प्रतिफल में से कंपनी को प्राप्त हुए ₹87.35 करोड़ के अलावा बकाया शेष राशि नरेश केम्पन्ना और कर्नल मोहिंदर खैरा को भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जिनके पास प्रश्नगत भूमि में कोई शीर्षक या स्वामित्व अधिकार नहीं था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले आदेशों और जस्टिस ढींगरा समिति की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद स्वीकार किया कि यूनिटेक और मैसर्स देवास जैसे संबंधित पक्षों के अधिकारों और दावों की पूरी तरह से अनदेखी करके केम्पन्ना और कर्नल खैरा को राशि का भुगतान करने का आदेश दिया जाना एक त्रुटि थी.
कोर्ट ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि नरेश केमपन्ना को 56.11 करोड़ रुपये और कर्नल मोहिंदर खैरा को 41.96 करोड़ रुपये का भुगतान करने के निर्देश में इस अदालत के फैसले में एक स्पष्ट त्रुटि या गलती हुई है.
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अदालत का कार्य किसी को भी प्रभावित नहीं करेगा और ऐसी स्थिति में, अदालत के कार्य द्वारा किसी पक्ष के साथ किए गए गलत को पूर्ववत करने का दायित्व भी अदालत का है.
पीठ ने कहा कि हमारी राय है कि यह एक उपयुक्त मामला है Actus Curiae Neminem Gravabit के सिद्धांत और पुनर्स्थापन के सिद्धांत को लागू करें.
पीठ ने इसके साथ ही नरेश केम्पन्ना और कर्नल मोहिंदर खैरा को उन्हें भुगतान की गई 98 करोड़ की राशि वापस करने और सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया है.
दोनो को जिस तारीख से यह राशि प्राप्त हुई थी, उस तारीख से 9% ब्याज के साथ अगले चार सप्ताह के भीतर राशि को रजिस्ट्री में जमा कराना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही मैसर्स देवास ग्लोबल एलएलपी को राशि प्राप्त करने के उचित कार्यवाही करने के लिए छूट दी है.