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सरकारी कर्मचारी के रवैये से हैरान Allahabad High Court ने कर्मचारी पर लगाया 1 लाख का जुर्माना, पूछा-अब तक यह सेवा में कैसे ?

Justice Dinesh Kumar Singh ने याचिकाकर्ता द्वारा बिना मूल आधार के याचिका दायर करने और अदालत का किमती समय बर्बाद करने के लिए एक लाख का हर्जाने का आदेश दिया. यह राशि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह में जमा करानी होगी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 7, 2023 4:52 AM IST

नई दिल्ली:Allahabad High Court  ने उत्तरप्रदेश स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक सरकारी कर्मचारी पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. पैसा न चुकाने पर जिलाधिकारी सुल्तानपुर को वसूली करने का भी आदेश दिया है.यही नहीं हाईकोर्ट ने कर्मचारी के रवैये को देखते हुए यहां तक पूछा कि आखिर अब तक वह सेवा में कैसे है.

High Court ने याचिकाकर्ता कर्मचारी संजय कुमार को आदेश दिए है कि वह हर्जाने की राशि को चार सप्ताह में आर्मी बैटल कैजुअल्टी वेलफेयर फंड में जमा करें.

15 याचिकाए दायर

रिश्वत लेने के मामले में जेल तक जा चुके सरकारी कर्मचारी संजय कुमार ने अब तक अपने ही विभाग के खिलाफ Allahabad High Court लखनऊ पीठ में 15 याचिकाएं दाखिल कर कर चुका है.

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Justice Dinesh Kumar Singh ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता द्वारा निर्धारित अवधि में धनराशि जमा नहीं कराने पर जिलाधिकारी सुल्तानपुर को अपने स्तर पर यह वसूली करने के भी आदेश दिए है.

याचिकाकर्ता संजय कुमार ने चिकित्सा शिक्षा अनुभाग- 3 के 6 दिसंबर 2022 के एक सरकारी आदेश को चुनौती दी थी.

रिश्वत मामले में जा चुका जेल

याचिका पर सुनवाई के दौरान विभाग ने कर्मचारी की करतूतों के बारे में अदालत को बताया. अदालत ने पाया कि याची रिश्वत लेने के मामले में जेल भी जा चुका है.वर्तमान में वह सुल्तानपुर जिले में चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग में कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत है. इससे पहले भी वह सरकारी कामकाज से जुड़े आदेशो को लेकर कोर्ट में 15 याचिकाएं दाखिल कर चुका है.

कर्मचारी के रवैये को लेकर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई, हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को ओर अधिक याचिकाए दाखिल कर अदालती समय बर्बाद करने से रोकने के लिए जरूरी है कि उस पर हर्जाना लगाया जाए.

Justice Dinesh Kumar Singh ने याचिकाकर्ता द्वारा बिना मूल आधार के याचिका दायर करने और अदालत का किमती समय बर्बाद करने के लिए एक लाख का हर्जाने का आदेश दिया. यह राशि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह में जमा करानी होगी.