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पूर्व विधायक Mukhtar Ansari की याचिका पर SC 2 जनवरी को करेगा सुनवाई

वर्ष 2003 में लखनऊ के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. अवस्थी ने अपने रिपोर्ट में ये आरोप लगाया था कि जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : December 30, 2022 10:07 AM IST

नई दिल्ली: जेलर पिस्तौल दिखाने धमकी देने के मामले में 7 साल की जेल की सजा का सामना कर रहे पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 जनवरी को सुनवाई करेगा.

मुख्तार अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 सितंबर को निचली अदालत द्वारा मुख्तार अंसारी को बरी करने के फैसले को रद्द करते हुए जेल की सजा सुनाई थी.

हाईकोर्ट ने अंसारी को दोषी ठहराते हुए कहा था कि वह एक खूंखार अपराधी और माफिया डॉन के रूप में प्रतिष्ठित है जिसके खिलाफ कई अपराधों के लिए 60 से अधिक मामले दर्ज हैं.

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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ मुख्तार अंसारी की याचिका पर सुनवाई करेगी.

इन धाराओं में माना था दोषी

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अंसारी को मामले में बरी करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था और उसे धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 504 शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना और IPC की धारा 506 आपराधिक धमकी के मामले में दोषी माना था.

हाईकोर्ट ने पलटा था फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी घोषित करने के साथ ही IPC की धारा 506 में 7 साल जेल की सजा सुनाई थी.इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए ये आदेश दिया था.

हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को IPC की धारा 353 के तहत 2 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना. IPC की धारा 354 के तहत 2 साल की सजा और 2 हजार का जुर्माना और धारा 506 के तहत 7 साल की सजा और 25 हजार के जुर्माना की सजा सुनाई थी.

नियमों के अनुसार तीनों सजाएं एक साथ चलने के कारण मुख्तार को इस मामले में 7 वर्ष की जेल और 37 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी.

ये है मामला

वर्ष 2003 में लखनऊ के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. अवस्थी ने अपने रिपोर्ट में ये आरोप लगाया था कि जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी.

अवस्थी ने यह भी आरोप लगाया था कि अंसारी ने उन्हें अपशब्द कहते हुए उन पर पिस्टल भी तान दी थी. ट्रायल के बाद इस मामले में निचली अदालत ने अंसारी को बरी कर दिया था.