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बिना वेस्ट मैनेजमेंट के कैसे स्मार्ट सिटीज बन सकता हैं! सुप्रीम कोर्ट ने कचरा के सोर्स पर ही निपटारे पर दिया जोड़

सुप्रीम कोर्ट ने NCR राज्यों को 2016 के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के अनुपालन पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

Supreme Court, Waste management disposal

Written by Satyam Kumar |Published : February 24, 2025 7:17 PM IST

भारत की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कचरे का सही प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि कचरे को स्रोत पर निपटारा करना पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह निर्णय 2016 के ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के अनुपालन के संदर्भ में आया है, जब अदालत ने NCR के राज्यों से हलफनामा देकर बताने को कहा है कि वे इस नियम के अनुपालन को लेकर क्या-कुछ कर रहे हैं.

सोर्स पर ही कचरे का करें निपटारा

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइंया की खंडपीठ ने कहा कि यदि कचरे का सही विभाजन नहीं किया गया, तो इससे कचरा-से-ऊर्जा बनानेवाली परियोजनाएं भी अधिक प्रदूषण पैदा करेंगी. वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि NCR में कचरे के विभाजन की दर बहुत कम है. उन्होंने बताया कि बिना विभाजित कचरा ऊर्जा संयंत्रों में भेजने से और अधिक प्रदूषण होता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि कैसे स्मार्ट शहरों के प्रोजेक्ट बिना ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के लागू किए जा सकते हैं.

अदालत ने कहा,

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"हमने देखा है कि सभी स्मार्ट शहर परियोजनाएं प्रगति पर हैं. अगर कचरे का सही विभाजन नहीं होगा, तो ये शहर स्मार्ट कैसे बन सकते हैं?"

सुप्रीम कोर्ट ने NCR के राज्यों को आदेश दिया है कि वे सभी शहरी स्थानीय निकायों के अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करें. इन हलफनामों को मार्च के अंत तक पेश किया जाना है. अदालत ने राज्यों से कहा है कि वे ठोस कचरा प्रबंधन के लिए एक व्यापक योजना तैयार करें, जिसमें समयसीमा और कार्यान्वयन एजेंसियों का उल्लेख हो.

इस बीच, अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह भी निर्देश दिया है कि वह कचरा-से-ऊर्जा परियोजनाओं के पर्यावरण पर प्रभाव की रिपोर्ट पेश करे. यह रिपोर्ट यह समझने में मदद करेगी कि ये परियोजनाएं कितनी प्रभावी हैं और क्या वे वास्तव में प्रदूषण को कम कर रही हैं या नहीं.

कचरे का निपटारा ना होना बेहद चिंतनीय

दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन की स्थिति गंभीर है. अदालत ने पहले भी कहा था कि अगर कचरे के निपटान के लिए कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया, तो वह कुछ निर्माण गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर आदेश पारित करने पर विचार करेगी. दिल्ली सरकार और नगर निगम की 2016 के नियमों के अनुपालन में विफलता ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई है कि दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 3000 टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है, जो बिना उपचारित रह जाता है. अदालत ने कहा कि समय के साथ यह संख्या बढ़ने वाली है. यह एक गंभीर समस्या है, जो न केवल दिल्ली बल्कि पूरे NCR के लिए चिंता का विषय है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कचरे का स्रोत पर विभाजन और ठोस कचरा प्रबंधन केवल एक कानूनी आवश्यकता नहीं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक जिम्मेदारी है. NCR के राज्यों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. अगर समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है.