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केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, निर्वचान को चुनौती देने के मामले में Bombay HC के फैसले को सही ठहराया

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गडकरी के आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए चुनाव याचिका में उठाई गई कुछ दलीलों को खारिज कर दिया. खारिज की गई दलीलों में मंत्री के परिवार के सदस्यों द्वारा अर्जित आय, उनके स्वामित्व वाली भूमि और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान किए गए व्यय से जुड़े दावे थे.

Supreme court, Nitin Gadkari

Written by Satyam Kumar |Published : May 1, 2025 5:50 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. अदालत का यह फैसला 2019 के नागपुर चुनाव को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया है. बता दें कि याचिकाकर्ता कांग्रेस उम्मीदवार नाना पटोले और मतदाता नफीस खान थे, जिन्होंने हाई कोर्ट के 2021 के आदेश को सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती दिया था.

HC  के फैसले में SC ने हस्तक्षेप से किया इंकार

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कांग्रेस उम्मीदवार नाना फल्गुनराव पटोले और नागपुर निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नफीस खान की याचिका खारिज किया, जिसमें हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के 26 फरवरी, 2021 के आदेश को चुनौती दी गई थी. अदालत ने कहा कि गडकरी ने 2024 के आम चुनाव में फिर से इस सीट पर जीत दर्ज की है इसलिए हाई कोर्ट द्वारा अपनाया गया तर्क सही है. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार किया है. बता दें कि नितिन गडकरी ने  2014, 2019 और 2024 में, तीनों बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किया है.

हाई कोर्ट के आदेश के बाद खान और पटोले दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में त्रुटि की है. नागपुर निर्वाचन क्षेत्र से मतदाता खान ने आरोप लगाया कि गडकरी ने अपने नामांकन पत्र और चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दी है. दूसरी ओर, पटोले ने दावा किया कि चुनाव प्रक्रिया के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.

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Bombay HC ने आंशिक रूप से खारिज की याचिका

वहीं, 201 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने गडकरी के आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए चुनाव याचिका में उठाई गई कुछ दलीलों को खारिज कर दिया था. खारिज की गई दलीलों में मंत्री के परिवार के सदस्यों द्वारा अर्जित आय, उनके स्वामित्व वाली भूमि और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान किए गए व्यय शामिल थे. हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूरी इन याचिकाओं को पूरी तरह से खारिज करने से इंकार किया था.

वहीं, 2019 के चुनाव से संबंधित लंबित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे निपटाने के भी निर्देश दिए हैं.