लोकपाल, राजनेता- प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच करते हैं, लेकिन क्या लोकपाल जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच कर सकते हैं? क्योंकि ये मामला उसी से जुड़ा है, एक हाई कोर्ट जज के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर लोकपाल ने उनके खिलाफ जांच बिठा दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को स्वत: संज्ञान में लेते हुए केन्द्र सरकार को जबाव तलब किया कि क्या ऐसा कैसे संभव हैं. आइये जानते हैं कि आज की सुनवाई में क्या हुआ...
सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के एक निर्णय पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि लोकपाल हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर उनकी जांच कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जजों पर अधिकार क्षेत्र का दावा करने वाले लोकपाल के निर्णय के संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
जस्टिस बीआर गवाई, सूर्य कांत और अभय एस ओका की पीठ ने लोकपाल के तर्कों से असहमति जताते हुए उसके आदेश पर रोक लगा दिया है. साथ ही अदालत ने लोकपाल के रजिस्ट्रार जनरल और शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी किया. इसके साथ ही, पीठ ने शिकायतकर्ता को हाई कोर्ट के जज का नाम और शिकायत की सामग्री का खुलासा करने से रोका.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संवैधानिक अधिकारी हैं, न कि वैधानिक पदाधिकारी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोकपाल की व्याख्या गलत है और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कभी भी लोकपाल के अंतर्गत लाने का इरादा नहीं था.
जस्टिस गवई और ओका ने यह भी कहा कि संविधान के प्रारंभ के बाद, सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संवैधानिक प्राधिकरण होते हैं और उन्हें केवल कानूनी कार्यकारी के रूप में नहीं देखा जा सकता.
वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने लोकपाल के निर्णय की आलोचना करते हुए उस पर रोक लगाने का आग्रह किया.