नई दिल्ली: जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों को आप फ्री में ऑनलाइन पढ़ सकेंगे.अब आप सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों के बारे में पूरी जानकारी ले सकेंगे. इसके लिए आपको ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ेगी. सुप्रीम कोर्ट एक प्रोजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है जिसके तहत कोर्ट में होने वाले सभी फैसलों को जनता के लिए और पारदर्शी (Transparent) बनाने जा रहा है. आईए जानते हैं क्या है ये प्रोजेक्ट और किसके - किसके लिए होगा ज्यादा लाभदायक.
न्यायपालिका के डिजिटलीकरण की दिशा में एक और कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट एक प्रोजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है. इस प्रोजेक्ट का नाम है इलेक्ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट्स (e-SCR). e-SCR प्रोजेक्ट का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर किया जाएगा. ऑनलाईन भी ये फैसेलें वैसे ही दिये जायेंगे जैसे आधिकारिक कानून रिपोर्ट(official law report) 'सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था.
e-SCR प्रोजेक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले के बारे में पढ़ सकता है. खास करके कानून के छात्र (Law Students), वकील(Lawyers) और आम जनता (Public). इसके लिए आपको किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा. आप फ्री में कोर्ट के सभी फैसलों की ऑफिशियल रिपोर्ट पढ़ सकेंगे.
न्यायाधीशों(Judges) के पुस्तकालय और संपादकीय अनुभाग( Editorial Section) के अधिकारियों की एक टीम ने 15 दिनों के अंदर ही लगभग 34,013 फैसलों को डिजिटली रूप से तैयार किया है. इसके तहत सभी डेटा को कैटेगरी में बांटा गया है यानि कि मामलों के प्रकृति के आधार पर उन्हे अलग- अलग किया गया. ताकि लोगों को ढूंढने में आसानी हो.
" शीर्ष अदालत ने अपने एक बयान में कहा कि साल 1950 से 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जितने भी फैसले थे उन सभी को SCR का डिजिटलीकरण और स्कैनिंग किया जाएगा. साथ ही उन डिजिटाइज्ड सॉफ्ट कॉपी को पीडीएफ (Portable Document Format) फॉर्मेट में भी रखा जाएगा. साथ ही कोर्ट ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट के कथित फैसलों में सॉफ्ट फॉर्म में डिजिटल रिपॉजिटरी बनाने में रजिस्ट्री की मदद भी होगी"
ई-एससीआर परियोजना सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर शुरू की जाएगी. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मोबाइल एप्लिकेशन के साथ-साथ राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के जजमेंट पोर्टल पर भी उपलब्ध कराई जाएगी. शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट फिर से खुल गया है.
शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसके द्वारा डिजिटलीकरण के दिशा में कोर्ट के आगे बढ़ने का जो उद्देश्य है उसे पूरा किया जायेगा. इसके माध्यम से संक्षेप में ही उनलोगों को जानकारी मिल जाएगी जो न्याय के बारे में जानना चाहते है और जो लोगों को न्याय दिलाना चाहते हैं. खास करके जो उच्च न्यायालयों के साथ - साथ बार के मेंमबर्स हैं और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय(National Law University) के छात्र हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि 'न्यायपालिका प्रौद्योगिकी (Judiciary Technology) के साथ ज्यादा जुड़ रही है, यानि तकनीक के साथ जुड़ रही है, इसलिए ये परियोजना आधुनिक भारतीय न्यायपालिका (Modern Indian Judiciary) के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.
इसकी वजह से अब ज्यादा से ज्यादा हार्ड कॉपी लेकर सफर करने से लोग बचेंगे. आसानी से किसी भी फाइल को वो कोर्ट तक पहुंचा सकेंगे या जहां भी उन्हें जरूरत होगी. भारी दस्तावेजों को लेकर यात्रा करने से लोगों को छुटकारा मिलेगा.
इसमें साल 1950 में उच्चतम न्यायालय की स्थापना से लेकर अब तक के सभी फैसलों की पूरी जानकारी यहां होगी. ई-एससीआर और डिजिटल रिपॉजिटरी पर.
शीर्ष अदालत ने कहा कि 'मेटा डेटा का निष्कर्षण और सत्यापन किया गया. ताकि सर्च इंजन के माध्यम से जो जिस तरह के फैसले के बारे में जानना चाहे उन्हें वह जानकारी मिल जाए. इसलिए उसमें कैटेगरी भी बनाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एनआईसी की मदद से एक सर्च इंजन विकसित किया है. जिसके तहत जानकारी लेने वाले को निम्नलिखित सुविधा मिलेंगी
1) ई-एससीआर के डेटाबेस में इलास्टिक सर्च तकनीक
2)ई-एससीआर में सर्च की सुविधा दी गई है
3) फ्री टेक्स्ट सर्च
4)सर्च इन सर्च की सुविधा
5)केस टाइप और केस ईयर सर्च कर सकते हैं
6)जज के बारे में भी सर्च कर सकते हैं
7)ईयर और वॉल्यूम सर्च
8)बेंच स्ट्रेंथ सर्च