पतंजलि को फटकार लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की भी जमकर क्लास लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने IMA को कहा, अगर एक उंगली आप दूसरों की ओर उठाते हैं, तों चार उंगलियां आपकी अपनी तरफ भी उठती है. शीर्ष न्यायालय ने मंहगी दवाओं, चिकित्सकों के अनैतिक आचरण पर भी ध्यान देने के निर्देश दिए. साथ ही इन्हें व्यस्थित करने को कहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को एफएमजीसी (FMGC) कंपनियों की जांच करने के आदेश दिए हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट IMA की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने पतंजलि के ऊपर कोविड-19 और एलोपैथी चिकित्सा के प्रति दुष्प्रचार फैलाने का आरोप लगाया है.
सुप्रीम कोर्ट में IMA की याचिका पर सुनवाई चल रही है. IMA ने पतंजलि पर एलौपैथी के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है. शीर्ष अदालत में इस मामले को जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच सुन रही है. बेंच ने IMA की कार्यप्रणाली, अन्य उपभोक्ता कंपनियों द्वारा प्रकाशित भ्रामक विज्ञापन को लेकर सख्त रूख अपनाया है. कोर्ट ने एलोपैथी डॉक्टरों द्वारा मरीजों को कथित तौर पर 'मंहगी और गैरजरूरी' दवाएं लिखने पर नाराजगी जताई है.
कोर्ट ने कहा, FMGC कंपनियां भी लोगों को भ्रमित करने वाले विज्ञापन जारी कर रहे हैं जिससे बच्चें-बूढ़े और उनके उत्पाद का प्रयोग करने वाले लोगों के स्वास्थ पर बुरा असर पर रहा है. लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है. अदालत ने इन भ्रामक विज्ञापनों पर पिछले तीन सालों में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया है. केन्द्र से पूछा गया कि जब पतंजलि के दावे वाले एड चल रहे थे, तो आपने रोक क्यों नहीं लगाई? सत्ता में रहने का अर्थ अपनी शक्तियों को मनमाने तौर से प्रयोग करना नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल, 2023 में आयुष ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश को खत लिखकर निर्देश दिया था कि वे ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई ना करें. इस निर्देश के आधार पर Misleading Ads के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. अदालत ने पाया नियम 170 को केन्द्र वापस लेने का विचार कर रही है. कोर्ट ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को भी मामले में पार्टी बनाने के निर्देश दिए हैं.