सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों समेत अन्य लोगों की निगरानी के लिए पेगासस स्पाइवेयर के कथित अनधिकृत इस्तेमाल की जांच की मांग वाली याचिकाओं अगले मंगलवार को सुनवाई करेगी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने समय के अभाव में सुनवाई टालते हुए इसके लिए 29 अप्रैल की तारीख निर्धारित की. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में यह मांग की गई है कि एक मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच की जाए, ताकि आरोपित जासूसी की जांच की जा सके। याचिका में कहा गया है कि सैन्य-ग्रेड स्पाइवेयर का लक्षित निगरानी करना, जो कि निजता के अधिकार का अतिक्रमण है, अस्वीकार्य है. सर्वोच्च न्यायालय ने इसे केएस पुट्टस्वामी मामले में मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है.
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले एक तकनीकी पैनल की रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट साझा नहीं की गई. एडवोकेट ने कहा कि इस अदालत को कुछ निर्देश पारित करने होंगे क्योंकि हमें रिपोर्ट नहीं मिली है. कृपया इस पर तत्काल सुनवाई करें. इस पर पीठ ने मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
शीर्ष अदालत ने सात मार्च को याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की थी. अदालत ने 25 अगस्त, 2022 को कहा था कि पेगासस के अनधिकृत उपयोग की जांच के लिए उसके द्वारा नियुक्त तकनीकी पैनल को 29 में से पांच सेल फोन में कुछ मैलवेयर मिले, लेकिन यह नहीं माना जा सकता कि इजराइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था. शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवींद्रन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर गौर करने के बाद न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने पेगासस जांच में सहयोग नहीं किया. शीर्ष अदालत ने 2021 में नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की लक्षित निगरानी के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा इज़राइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच का आदेश दिया था और मामले की जांच के लिए तकनीकी एवं पर्यवेक्षी समितियों की नियुक्ति की थी.
पेगासस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश आरवी रविंद्रन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में, जहां कानून का शासन है कि व्यक्तियों पर बेतरतीब जासूसी की अनुमति नहीं दी जा सकती. समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला कि जिन 29 मोबाइल फोन का परीक्षण किया गया, उनमें पेगासस स्पाइवेयर नहीं पाया गया, लेकिन पांच मोबाइल फोन में मैलवेयर पाया गया. तकनीकी समिति ने कहा कि पांच में से कोई भी मोबाइल फोन पेगासस स्पाइवेयर से संक्रमित नहीं था, लेकिन मैलवेयर की उपस्थिति दर्ज की गई है. तकनीकी समिति और निगरानी समिति ने बेंच को बताया कि भारत सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया. समिति ने कहा कि रिपोर्ट में मैलवेयर, सार्वजनिक अनुसंधान सामग्री की जानकारी और निजी मोबाइल उपकरणों से निकाली गई सामग्री शामिल है, जिसमें गोपनीय जानकारी हो सकती है.