Advertisement

धन विधेयक के सहारे बने कानून की वैधता को चुनौती, जांच को लेकर बनेगी संवैधानिक पीठ, SC ने जाहिर की मंशा

संवैधानिक बेंच आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करेगी.

Written by Satyam Kumar |Updated : July 16, 2024 10:36 AM IST

Act As Money Bill:  सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 7 जजों की एक संवैधानिक बेंच गठन करने पर सहमति जताई है. संवैधानिक बेंच आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक (Money Bill) के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार केवल राज्यसभा की स्क्रूटनी से बचने के लिए ऐसा कर रही है जहां उसके पास बहुमत नहीं है.

245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के पास वर्तमान में 86 सांसद हैं और सत्तारूढ़ एनडीए के पास 101 सांसद हैं, जहां बहुमत का आंकड़ा 123 है. आधार अधिनियम, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) में संशोधनों को धन विधेयक के रूप में पारित करना, जाहिर तौर पर राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए, जब एनडीए के पास वहां बहुमत नहीं था, एक प्रमुख राजनीतिक और कानूनी विवाद का केंद्र रहा है.

कानून की वैधता पर विचार करें संवैधानिक बेंच

कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक के रूप में 2016 के आधार अधिनियम को पारित करने को चुनौती दी है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि याचिकाएं पूरी हो चुकी हैं और याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है. सिब्बल ने कहा कि चूंकि मामला पहले से ही निर्धारित संविधान पीठ की सुनवाई की सूची में है, इसलिए प्राथमिकता के आधार पर ऐसी पीठ बनाई जानी चाहिए.

Also Read

More News

सीजेआई ने उनसे कहा, जब मैं संविधान पीठ बनाऊंगा, तब मैं इस पर विचार करूंगा. बाद में, कांग्रेस ने याचिकाओं की सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने पर विचार करने के लिए शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया. पार्टी को उम्मीद है कि इस साल नवंबर में चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने से पहले अंतिम फैसला आ जाएगा. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह धन विधेयक के रूप में आधार अधिनियम जैसे कानूनों के पारित होने की वैधता के मुद्दे पर विचार करने के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेगी.

राज्यसभा मनी बिल पर केवल दे सकती है विचार

धन विधेयक एक ऐसा कानून है जिसे केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है और राज्यसभा इसे संशोधित या अस्वीकार नहीं कर सकती है. उच्च सदन केवल सिफारिशें कर सकता है जिन्हें निचला सदन स्वीकार कर सकता है या नहीं भी कर सकता है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले कहा था कि सभी लंबित सात न्यायाधीशों की पीठ के मामले प्रक्रियात्मक निर्देशों के लिए पिछले साल 12 अक्टूबर को सूचीबद्ध किए जाएंगे. नवंबर 2019 में, शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने वित्त अधिनियम, 2017 को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता की जांच करने के मुद्दे को एक बड़ी पीठ को भेज दिया था.

इसने कहा था,

संविधान के अनुच्छेद 110(1) के तहत परिभाषित धन विधेयक का मुद्दा और प्रश्न, और वित्त अधिनियम, 2017 के भाग-XIV के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा दिया गया प्रमाणन एक बड़ी पीठ को भेजा जाता है. पांच न्यायाधीशों की पीठ ने तब वित्त अधिनियम का हिस्सा बनने वाले विभिन्न न्यायाधिकरणों के सदस्यों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाले नियमों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था.

इससे पहले, शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने पीएमएलए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए, इसमें संशोधनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने के मुद्दे को एक बड़ी पीठ द्वारा निर्णय के लिए छोड़ रखा है.

PTI के मुताबिक, आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को बरकरार रखा था. हालांकि, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने असहमति जताते हुए आधार कानून को धन विधेयक के रूप में नामित करने को 'संविधान के साथ धोखाधड़ी' बताया था.