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ताहिर हुसैन की याचिका पर SC में तीसरे दिन की सुनवाई, जमानत देने को लेकर जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अमानुल्लाह की राय अलग-अलग

सुप्रीम कोर्ट ताहिर हुसैन की याचिका पर लगातार तीसरे दिन की सुनवाई कर रही है. ताहिर को अंतरिम जमानत देने को लेकर जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अमानुल्लाह की राय अभी तक अलग अलग नज़र आ रही है.

ताहिर हुसैन, सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : January 22, 2025 12:08 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में आज लगातार तीसरे दिन ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई हुई. ताहिर हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से उनका जबाव मांगा था. दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन की जमानत याचिका का विरोध किया है.

जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने द्वारा जारी नोटिस पर दिल्ली पुलिस ने आज अपना जबाव रखा है. दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ताहिर हुसैन की ज़मानत अर्जी का विरोध कर रहे है. एएसजी राजू ने कहा कि चुनाव प्रचार कोई संवैधानिक या मूल अधिकार नहीं है. सिर्फ चुनाव प्रचार का हवाला देकर कोई जमानत का अधिकारी नहीं हो सकता. जब पार्टी ने उसे टिकट दिया और उसने चुनाव लड़ना स्वीकार किया तब पार्टी और उसे दोनों को बखूबी पता था कि ये संभव है कि वो चुनाव प्रचार न कर पाए. फिर भी उसने चुनाव लड़ने का फैसला लिया. वैसे भी पार्टी सभी उम्मीदवारों का प्रचार करती है.

वहीं, ताहिर को अंतरिम जमानत देने को लेकर जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अमानुल्लाह की राय अभी तक अलग अलग नज़र आ रही है.

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जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि अंतरिम ज़मानत देने में क्या हर्ज है, बाकी मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है. चुनाव प्रचार भी उम्मीदवार के लिए अहमियत रखता है. ये समझ से पर है कि दिल्ली दंगो के सभी मामलो को एक साथ क्यों नहीं जोड़ा गया. बता दें कि ताहिर हुसैन के खिलाफ कुल ग्यारह मामले दर्ज है, जिसमें से 9 में उन्हें जमानत मिल चुकी है. जस्टिस अमानुल्लाह की राय से जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि याचिकाकर्ता पर एक सरकारी अफसर की हत्या का भी आरोप है, सिर्फ दंगो का ही यह केस नहीं है! जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि हमारे देश मे चुनाव होते ही रहते है. अगर चुनाव प्रचार के लिए ऐसे अंतरिम ज़मानत मिलने लगी तो फिर सभी इसी आधार पर ज़मानत मांगने लगेंगे.

जस्टिस मित्तल ने कहा कि UAPA और PMLA के केस में ताहिर की जमानत अर्जी निचली अदालत में पेंडिंग है. अगर इस केस में अंतरिम जमानत मिल जाती है तो भी वो जेल से बाहर नहीं आ पाएंगा. ऐसे में वो पहले दोनों केस में जमानत हासिल करे, फिर इस केस में ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करें.

जस्टिस पंकज मित्तल के विचार से इतर राय रखते हुए जस्टिस अमानुल्लाह की टिप्पणी -सुप्रीम कोर्ट , ट्रायल कोर्ट का इतंज़ार क्यों करें.  SC अपने स्तर पर इसमे फैसला ले सकता है. हम ये क्यों मानकर चले कि ट्रायल कोर्ट से बाकी केस में उड़े ज़मानत नहीं मिलेगी.

जस्टिस अमानुल्लाह  ने ASG से पूछा कि अगर ये केस इतना ही अहम है तो पांच साल में ट्रायल क्यों नहीं पूरा हुआ? इतने सालो सिर्फ 4-5 चश्मदीद के बयान क्यों दर्ज किए गए! आप किसी को यूं ही जेल में अनिश्चित काल तक बंद नहीं रख सकते. आर्टिकल 21 इसकी इजाजत नहीं देता. पिछले 5 सालों में वो एक दिन भी जेल से बाहर नहीं निकला है. हम केस में जो तथ्य है, उनको लेकर अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते.

पिछले दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत मांगने पर सवाल उठाया था. इस पर ताहिर हुसैन की ओर से मौजूद सीनियर एजवोकेट ने कहा कि उनकी रेगुलर जमानत वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है, अब वहीं इस दौरान उन्होंने अंतरिम जमानत की मांग की थी.