आज सुप्रीम कोर्ट विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) पर सुनवाई करते हुए CLAT UG 2025 की मेरिट लिस्ट को दोबारा से जारी करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है. हालांकि, ये रोक अस्थायी है. 23 अप्रैल को दिए आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट ने CLAT UG के रिजल्ट को संशोधित कर दोबारा से जारी करने के आदेश दिए थे. आदेश के अनुसार, चार क्वेश्चन पेपर के सेट में से तीन सेट B,C और D को हल करनेवाले छात्रों को चार प्रश्नों के अंक देने को कहा था, इन क्वेश्चन सेट में चार प्रश्न गलत थे, लेकिन A सेट वालों के लिए अदालत ने कहा कि इसमें ये प्रश्न सही थे. दिल्ली हाई कोर्ट ने इन सुधारों के साथ सीएनएलयू को चार सप्ताह के भीतर दोबारा से रिजल्ट जारी करने को कहा था. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मूल्यांकन उन सभी उम्मीदवारों पर लागू किया जाएगा जिन्हें लाभ मिला है.
सुप्रीम कोर्ट एक कैंडिडेट की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई किया. कैंडिडेट ने दावा किया कि उसने परीक्षा में क्वेश्चन सेट A लगाया था और ऑल इंडिया रैंक 22 प्राप्त किया. उसका तर्क है कि उच्च न्यायालय के निर्देश से A सेट वाले उम्मीदवारों को B, C और D सेट वाले उम्मीदवारों की तुलना में नुकसान हुआ है. परीक्षार्थी के दावे के अनुसार, उच्च न्यायालय के निर्देशों के कारण उसे समान अवसर नहीं मिले क्योंकि अन्य सेटों के पेपरों की तुलना में A सेट का पेपर अलग था.
अब इस याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका पर संघ और अन्य को नोटिस जारी करते हुए उनसे एक सप्ताह के भीतर जवाब अपना जबाव देने को कहा है. पीठ ने आश्वासन देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद फिर से होगी.
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में पांच वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT), 2025, पिछले वर्ष 1 दिसंबर को आयोजित किया गया था और इसके परिणाम 7 दिसंबर को घोषित किए गए थे. परीक्षा के बाद देश के विभिन्न हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिसमें आरोप लगाया गया कि परीक्षा में कई प्रश्न गलत थे. CLAT देश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर विधि पाठ्यक्रमों में प्रवेश निर्धारित करता है. 6 फरवरी को, सर्वोच्च न्यायालय ने सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के संघ की स्थानांतरण याचिकाओं पर निर्देश जारी किया, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने संशोधित कर रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं.