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हिजाब बैन करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई आंशिक रोक, जानें सुनवाई के दौरान क्या-कुछ हुआ?

सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज मैनेजमेंट के फैसले पर आंशिक तौर पर बदलते हुए कॉलेज परिसर में बुरका, हिजाब या नकाब पहनने के फैसले पर रोक लगाई है.  

Written by Satyam Kumar |Published : August 9, 2024 4:41 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें कॉलेज द्वारा परिसर में हिजाब, नकाब या कोई भी धार्मिक पोशाक पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज मैनेजमेंट के फैसले पर आंशिक तौर पर बदलते हुए कॉलेज परिसर में बुरका, हिजाब या नकाब पहनने के फैसले पर रोक लगाई है.

धर्म का खुलासा ना हो, ये कैसा नियम है? सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के आदेश में किया बदलाव

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच बॉम्बे हाईकोर्ट के, हिजाब बैन को बरकरार रखने, के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने कॉलेज द्वारा छात्रों के धर्म का खुलासा न करने की शर्त पर आश्चर्य व्यक्त किया.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वे 18 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह के दौरान इस पर नोटिस जारी करेंगे. तब तक कॉलेज द्वारा जारी नोटिफिकेशन के दूसरे क्लॉज 2 के उस भाग, जिसमें हिजाब, टोपी और बैज पर प्रतिबंध लगाया गया है, पर रोक लगाते हैं.

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न्यायमूर्ति खन्ना ने आश्चर्य व्यक्त किया,

यह क्या है? ऐसे नियम लागू न करें. यह क्या है कि धर्म का खुलासा न करें?

जस्टिस ने छात्रों को धर्म छिपाने के निर्देश देने  को लेकर चिंता जाहिर की.

 जस्टिस कुमार ने पूछा,

क्या उनके नाम से उनका धर्म पता नहीं चलेगा? क्या आप उन्हें संख्याओं से पहचानने के लिए कहेंगे?

जस्टिस खन्ना ने सुझाव दिया कि उन्हें साथ में पढ़ने दें. अदालत ने कॉलेज द्वारा धर्म का खुलासा न करने के नियम पर आश्चर्य व्यक्त किया, इस बात पर जोर दिया कि यह अनावश्यक है और छात्रों को साथ में पढ़ने देने का सुझाव दिया.

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कॉलेज की ओर से मौजूद सीनियर एडवोकेट माधवी दीवान ने कहा कि कॉलेज एक निजी संस्था है. जस्टिस कुमार ने कॉलेज की स्थापना वर्ष के बारे में पूछा, जिस पर वकील ने जवाब दिया कि यह 2008 से चल रहा है. जस्टिस कुमार ने जवाब दिया कि आपको इतने सालों के बाद अचानक धार्मिक सिद्धांतों का ख्याल आया.

जस्टिस खन्ना ने दीवान से पूछा,

"क्या आप कहेंगे कि तिलक लगाने वाले को अनुमति नहीं दी जाएगी?"

एडवोकेट ने तर्क दिया कि कॉलेज में 441 मुस्लिम छात्राएं हैं, वे खुशी से पढ़ाई कर रही हैं और केवल कुछ मुस्लिम छात्राओं ने ही आपत्ति जताई है. उन्होंने इस बात पर जोड़ दिया कि ये छात्राएं हमेशा हिजाब नहीं पहनती हैं.

जस्टिस  कुमार ने दोबारा से सवाल किया, 

क्या यह छात्राओं की पसंद नहीं है कि वह क्या पहनना चाहती है?

दीवान ने कहा कि क्लास के दौरान चेहरे ढ़कने वाले परिधान जैसे नकाब या बुरका से क्लासरूम टॉक में परेशानी होती है. अदालत ने इस बात से सहमति जताते हुए हिदायत दी कि इससे क्लासरूम में बाधा पहुंचेगी. साथ ही कॉलेज मैनेजमेंट को बताया कि वे इस निर्देश में किसी प्रकार का बदलाव न करें, इसका यथावत ही पालन किया जाए.

इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट  ने  कॉलेज कॉलेज प्रशासन के नियमों को बरकरार रखा था. बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज प्रशासन के फैसले को हटा दिया है लेकिन क्लास के दौरान चेहरे ढ़ंकने वाले परिधान पर लगे रोक को बरकरार रखा.