Gangster Arun Gulab Gawli: सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर अरूण गुलाब गवली की समय से पूर्व रिहाई पर 15 जुलाई तक रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर आई है. महाराष्ट्र सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अरूण गवली को समय से पूर्व रिहाई पर विचार करने के निर्देश दिए थे.
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (Special Leave Petition) दी, जिसमें राज्य ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. राज्य ने कहा, किसी कैदी की समय से पूर्व रिहाई पर विचार करने का अधिकार हमारा है. और उच्च न्यायालय हमें किसी कैदी को रिहा करने को लेकर बाध्य नहीं कर सकता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य को अरूण गवली की रिहाई को लेकर आदेश देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट के इसी आदेश से आपत्ति जताते हुए राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
राज्य ने कहा, अरूण गवली खूंखार अपराधी से राजनेता बना है. अदालत ने ही उसे सिंडिकेट क्राइम के तहत सजा सुनाई है. बॉम्बे हाईकोर्ट अपने फैसले में इस बात पर विचार करने से असफल रही हैं. बता दें, अरूण गवली को शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामलेमें आजीवन कारावास की सजा मिली है.
आजीवन कारावास की सजा काट रहे अरूण गवली ने समय से पूर्व रिहाई की मांग की. राज्य ने उसकी मांग कहते हुए ठुकरा दी कि राज्य की क्षमा नीति उनके लिए है, जो पूरे सजा में से 14 वर्ष जेल में बिता चुके हैं या 65 वर्ष की उम्र सीमा पार कर चुके हैं. राज्य ने गवली की मांग को ठुकरा दिया. अब राज्य के इसी फैसले को अरूण गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वे राज्य की क्षमा नीति, 2006 के मुताबिक सजा में छूट पाने का अधिकार है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी मांग को उचित पाते हुए अरूण गवली की समय से पूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए राज्य को चार सप्ताह का समय दिया था. अब महाराष्ट्र सरकार ने इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समय से पूर्व रिहाई पर 15 जुलाई तक रोक लगा दी है.