बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर दिन 11 हजार ठोस कचरा उत्पन्न होता हैं और उसमें से केवल 8000 टन कचरा ही राज्य में निष्कासित हो पाता है. 3000 टन सॉलिड कचरे तो वैसे ही पड़े रह जाते हैं. अदालत ने दिल्ली राज्य के मुख्य सचिव से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम (Solid Waste Management Rule, 2016) के अनुपालन पर स्पष्टीकरण मांगते हुए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को 27 जनवरी 2025 तक इन नियमों के अनुपालन पर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुपालन के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्य सचिव की खिंचाई की. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना 3,000 टन अनुपचारित ठोस कचरा पैदा होने को विनाशकारी और चौंकाने वाली स्थिति बताते हुए बृहस्पतिवार को दिल्ली के मुख्य सचिव से नाराजगी जताई और दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.
पीठ ने कहा,
"मुख्य सचिव ने जिस तरह से इस मामले को देखा है, वह आश्चर्यजनक है. उन्हें इस अदालत के आदेश की कोई परवाह नहीं है. अनुपालन हलफनामा दाखिल करने की जहमत नहीं उठाते. कौन कहता है कि हम एकमत हैं."
अदालत ने सवाल किया,
"अगर रोजाना 3,000 मीट्रिक टन अनुपचारित ठोस कचरे का अंतर है, तो क्या दिल्ली सरकार और नगर निगम के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वे एक साथ आएं और कुछ विकास गतिविधियों पर रोक लगाएं? मामले में दिल्ली सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आना चाहिए. तथ्य यह है कि 2016 के नियमों का कोई अनुपालन नहीं किया गया है. क्या आपने समयसीमा का अनुपालन किया है?"
शीर्ष अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि अगर विभिन्न गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए समयसीमा का अनुपालन किया गया, तो उसे "बिना किसी लीपापोती के" अवगत कराया जाए. मुख्य सचिव को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के अनुपालन पर 27 जनवरी 2025 तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे उम्मीद थी कि दिल्ली सरकार और सभी प्राधिकरण नगर निगम के ठोस अपशिष्ट उत्पादन में अंतर को पाटने के लिए नवीन उपाय लेकर आएंगे, लेकिन कुछ नहीं किया गया. शीर्ष अदालत ने गाजीपुर और भलस्वा में दो जगहों पर फेंके जा रहे 3,800 टन अनुपचारित कचरे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि दिल्ली सरकार को अवैध डंपिंग से निपटने और वहां आग रोकने के लिए कदम उठाने होंगे. अदालत ने दिल्ली सरकार को उपायों को सूचीबद्ध करते हुए 15 जनवरी 2025 तक एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
सर्वोच्च अदालत ने 3,000 टन अनुपचारित ठोस कचरे की अवैध डंपिंग पर खेद व्यक्त किया है. साथ ही इस स्थिति से निपटने के लिए विकास गतिविधियों को रोकने की संभावना जताते हुए सॉलिड वेस्ट से निपटने के लिए नवीन उपाय पर विचार करने को कहा है. गाजीपुर और भलस्वा में 3,800 टन अनुपचारित कचरे की स्थिति से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 15 जनवरी 2025 तक उपायों की सूची के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.