सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा विधानसभा में अभिभाषण दिये बिना बाहर चले जाने को लेकर उन्हें राज्य से वापस बुलाने का अनुरोध करने संबंधी याचिका सोमवार को खारिज कर दी है. प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ सीआर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र को अचानक छोड़कर संविधान का उल्लंघन और तमिलनाडु के लोगों का अपमान किया.
राज्यपाल 6 जनवरी को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राष्ट्रगान के बजाय कथित तौर पर तमिलनाडु का राज्य गान बजाए जाने के विरोध में पारंपरिक अभिभाषण दिये बिना विधानसभा से बाहर चले गए थे. राज्यपाल ने इसे संविधान और राष्ट्रगान का ‘‘अपमान’’ बताया था. याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 156 का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को राज्यपाल को वापस बुलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. पीठ ने कहा कि यह याचिका न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा,
‘‘हम इस अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकते
खंडपीठ ने कहा कि जहां भी हमें लगा कि कोई मुद्दा है, तो हमने उस पर ध्यान दिया है. यह याचिका राज्यपाल को वापस बुलाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग करती है, इसे हम अनुमति नहीं दे सकते हैं. हम भी संविधान से बंधे हैं.
बता दें कि राज्यपाल को 'राज्य' से वापस बुलाने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास है. संविधान के अनुसार, राज्यपाल किसी भी राज्य में केन्द्र के प्रतिनिधि होते हैं, जिनकी नियुक्ति और हटाने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को होता है, इस मामले में अदालतों का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. इसलिए सीजेआई ने याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि हम भी संविधान से बंधे हैं.