सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना से जुड़े जबरन वसूली के आरोपों के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कर्नाटक इकाई के पूर्व अध्यक्ष नलिन कुमार कतील के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही जारी नहीं रहेगी.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के तीन दिसंबर 2024 के फैसले के खिलाफ जनाधिकार संघर्ष परिषद के आदर्श आर अय्यर की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने इस योजना से जुड़े जबरन वसूली के आरोपों के संबंध में कतील और अन्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया था.
पीठ ने कहा,
“कोई विशेष आरोप नहीं हैं और कोई सामग्री भी नहीं है... हम किसी भी तरह की अनियमित जांच की अनुमति नहीं देंगे.”
अय्यर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियों का उपयोग करके इस योजना के तहत धन लिया गया. मामले के कानूनों का हवाला देते हुए भूषण ने उच्च न्यायालय के फैसले पर कहा कि एक आपराधिक मामले को इस तरह से नहीं दबाया जा सकता. पीठ ने कहा कि वह ठोस सामग्री के अभाव में जांच की अनुमति नहीं दे सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. हालांकि, पीठ ने कहा कि मौजूदा याचिका खारिज होने का मतलब यह नहीं है कि ठोस साक्ष्य मिलने पर भविष्य में कोई अन्य मामला या प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शिकायत में कानूनी आधार का अभाव है तथा यह जबरन वसूली का प्रथम दृष्टया मामला भी स्थापित करने में विफल रही.
यह मामला अय्यर द्वारा दायर एक निजी शिकायत से उत्पन्न हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कतील, भाजपा के कई अन्य नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत वाले एक जबरन वसूली गिरोह का हिस्सा थे, जो सरकारी छापों की धमकी देकर कॉर्पोरेट संस्थाओं को चुनावी बॉण्ड खरीदने के लिए मजबूर करते थे. शिकायत में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिससे कतील के खिलाफ आगे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकेगी.
(खबर पीटीआई भाषा इनपुट से है)