UAPA Amendments 2019: सुप्रीम कोर्ट ने UAPA कानून में 2019 में हुए बदलाव के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई से इंकार किया है. शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट को संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने को कहा है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सीधे सुनवाई करना सही नहीं होगा. मामला कई हाई कोर्ट में लंबित हैं, बेहतर होगा पहले हाई कोर्ट ही इस कर फैसला दें. कोर्ट में याचिकाओं में कहा गया है कि UAPA क़ानून में किये गए ये बदलाव सरकार को किसी भी शख्श को मनमाने तरीके से आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है. इसके बाद उस व्यक्ति को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा. ऐसी सूरत में उस शख्श को खुद साबित करना होगा कि वह आतंकवादी नहीं है. यह समानता, स्वतंत्रता और सम्मान के मौलिक अधिकार का हनन है.
सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna), जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को राहत के लिए पहले हाई कोर्ट जाने के निर्देश दिए है.
सीजेआई ने कहा,
कभी कोई मामले याचिकाकर्ता के द्वारा और कभी संघ की ओर से कोई प्वाइंट्स छूट जाता है और हमें मामलों को बड़ी बेंच के पास रेफर करना पड़ता है. इसलिए बेहतर है कि पहले हाई कोर्ट ही फैसला करें.
याचिकाकर्ता की ओर से मौजूद सीनियर वकील ने बताया कि UAPA से जुड़ी कई याचिकाएं है और वे इस अदालत के सामने पांच साल से लंबित है. इन्हें रद्द करने की बजाय हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दें. सीनियर वकील के अनुरोध के बाद अदालत ने मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने के निर्देश दिए.
बताते दें कि फरवरी, 2024 में भी सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए से संबंधित कई याचिकाओं को वापस लेने को लेकर सहमति जताई थी.
(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)