पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में प्रदर्शन पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ठुकरा दी है. जो याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की उस याचिका में मांग की गई थी कि भारतीय नागरिकों को पाकिस्तानी कलाकारों को काम पर रखने या उनके प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया जाए. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा. मामले को खारिज करने से पहले जस्टिस खन्ना ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता को अपनी सोच में इतना संकीर्ण नहीं होना चाहिए.
बता दें, बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले अक्टूबर में एक याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. हाईकोर्ट ने कहा था- याचिका में कोई दम नहीं है क्योंकि इसमें प्रतिगामी कदम उठाने की मांग की गई है और यह सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति के खिलाफ है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हाल ही में भारत में समाप्त हुए क्रिकेट विश्व कप टूर्नामेंट में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की भागीदारी का भी उल्लेख करते हुए कहा कि समग्र शांति और सद्भाव के हित में भारत सरकार द्वारा उठाए गए सराहनीय सकारात्मक कदमों के कारण ये संभव हो सका.
अदालत ने साफ कहा कि इस तरह के प्रतिबंध लगाने से भारतीय नागरिकों के व्यवसाय और व्यापार करने के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा.
ये याचिका स्वयंभू सिने कार्यकर्ता फैज़ अनवर क़ुरैशी ने दायर की थी. उन्होंने ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्ल्यूए) के प्रतिबंध का हवाला दिया था, जिसने भारतीय फिल्म उद्योग में पाकिस्तानी कलाकारों को शामिल करने के खिलाफ फैसला किया था.
क़ुरैशी का कहना था कि उनके द्वारा मांगी गई राहत नहीं देने से भारतीय कलाकारों के साथ भेदभाव होगा, जिन्हें कथित तौर पर पाकिस्तान में अनुकूल माहौल नहीं मिलता है. पाकिस्तानी कलाकार भारत में व्यावसायिक अवसरों का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे, जो भारतीय नागरिकों को ऐसे अवसरों से वंचित या कम करके उनके प्रति पूर्वाग्रह पैदा कर सकता है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग ठुकरा दी. इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी.