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झुग्गियों में पानी नहीं, सरकारी स्कूल बंद हो रहे... देश भर में Cycle Track बनवाने की मांग पर SC ने जताया आश्चर्य

सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि झुग्गी बस्तियों में लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिल रहा और आप देश भर में साईकल ट्रैक का सपना देख रहे है!

Cycle track and Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Updated : February 10, 2025 7:11 PM IST

आज सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में साईकल ट्रैक बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इंकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि देश में राज्यों के पास लोगों को किफायती घर उपलब्ध कराने के लिए पैसा नहीं है, झुग्गी बस्तियों में लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिल रहा और आप देश भर में साईकल ट्रैक का सपना देख रहे है! सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें हमारी प्राथमिकताओं को गलत दिशा में नहीं जाने देना चाहिए. बता दें कि याचिका में सुप्रीम कोर्ट से देश भर में साइकिल ट्रैक बनवाने की मांग को लेकर केन्द्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी.

देश में मूलभूत सुविधाओं की कमी

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने याचिकाकर्ता को नसीहत दी कि देश मे और भी ज़रूरी मुद्दे है. प्राथमिकता में साईकल ट्रैक के बजाए वो मसले होने चाहिए. आप झुग्गी झोपड़ी जाइये, लोगो के पास पीने के लिए साफ पानी की कमी है, घर नहीं है. सरकारी स्कूल बंद हो रहे है, हमारी चिंता इन सब मसलों को लेकर ज़्यादा होनी चाहिए.

अदालत ने कहा,

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 "जब राज्यों के पास लोगों को सस्ती आवास उपलब्ध कराने के लिए धन नहीं है, तब साइकिल ट्रैक बनाने की बात करना एक दिन का सपना ही है. पहले झुग्गियों में जाकर देखें कि लोग किस स्थिति में रह रहे हैं."

अदालत ने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं गलत हो रही हैं, हमें संविधान के अनुच्छेद 21 (गरिमापूर्ण जीवन) पर अधिक ध्यान देना चाहिए.

देश भर में साइकल ट्रैक की मांग

याचिका दायर करने वाले साइकिलिंग प्रमोटर दविंदर सिंह नागी ने यह तर्क दिया कि कई राज्यों में पहले से ही साइकिल ट्रैक मौजूद हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सर्वोच्च न्यायालय के एक गेट के बाहर भी एक साइकिल ट्रैक है. याचिकाकर्ता ने अटल मिशन फॉर रीजनरेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन योजना का भी उल्लेख किया, जो चुनिंदा शहरों और कस्बों में बुनियादी ढाँचे के विकास पर केंद्रित है. फिर भी, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देना आवश्यक है.