Supreme Court On Personal Liberty: गुरूवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों का यह संवैधानिक दायित्व है कि वे नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में शीघ्रता से निर्णय लें और ऐसे मामले में एक दिन की देरी भी मायने रखती है.अदालत ने व्यक्ति को हिरासत में रखे जाने वाले आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अधिकारियों की लापरवाही से बंदी द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर निर्णय लेने में लगभग नौ महीने की देरी हुई. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला हिरासत में बंद व्यक्ति की याचिका पर आया, जिसने अपने पति को हाजिर करने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अप्पिसेरिल कोचू मोहम्मद शाजी नामक व्यक्ति को हिरासत में रखे जाने के आदेश को रद्द कर दिया. अदालत ने 31 जुलाई को अपने आदेश में बंदी को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया था. गुरूवार के दिन जारी फैसले में अदालत ने इसके पीछे कारण का भी बताए. पीठ में न्यायमूर्ति पी.के. मिश्रा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन भी शामिल हुए. पीठ ने कहा कि बंदी द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर निर्णय लेने में लगभग नौ महीने की देरी हुई.
पीठ ने अपने 60 पन्नों के आदेश में कहा,
“नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में, अधिकारियों को अत्यंत शीघ्रता से अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का संवैधानिक दायित्व सौंपा गया है। ऐसे मामले में प्रत्येक दिन की देरी मायने रखती है.”
पीठ ने आगे कहा,
“वर्तमान मामले में, हम पाते हैं कि जेल अधिकारियों के लापरवाह, उदासीन और उपेक्षापूर्ण दृष्टिकोण के कारण, बंदी का प्रतिवेदन उचित समय के भीतर बंदी प्राधिकारी और केंद्र सरकार तक नहीं पहुंच सका. प्रतिवेदन पर निर्णय लेने में लगभग नौ महीने की देरी हो चुकी है.”
शीर्ष अदालत ने इस प्रश्न पर भी विचार किया कि क्या किसी व्यक्ति के बयानों को प्रस्तुत न किए जाने से हिरासत में लिए गए व्यक्ति के अधिकार पर असर पड़ा है.
पीठ ने बंदी की पत्नी द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें केरल उच्च न्यायालय द्वारा मार्च में सुनाये गये आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसके पति को पेश करने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था. शाजी को विदेशी मुद्रा संरक्षण एवं तस्करी निवारण अधिनियम (सीओएफईपीओएसए), 1974 के प्रावधानों के तहत पिछले वर्ष 31 अगस्त को जारी आदेशानुसार में हिरासत में लिया गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे गिरफ्तार करने के आदेश को रद्द कर दिया है.