नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के आरोपी भाजपा विधायक एम विरुपक्षप्पा को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक नहीं लगाई है.
कर्नाटक लोकायुक्त ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि कि विधायक के कमरे से बड़ी रकम बरामद होने के बावजूद उन्हें अग्रिम जमानत मिल गई.
लोकायुक्त अधिकारियों ने विरुपक्षप्पा के बेटे प्रशांत कुमार एमवी को केएसडीएल कार्यालय में पिता की ओर से एक ठेकेदार से करीब 40 लाख रुपये की रिश्त लेते रंगे हाथ पकड़ा था. 3 मार्च की छापेमारी में मदल परिवार के घर से 8.23 करोड़ नकदी, भारी मात्रा में सोने, चांदी बरामद हुए थे.
गौरतलब है कि इस मामले में एडवोकेट एसोसिएशन, बेंगलुरु (AAB) ने भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को चिट्ठी लिखकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) एमएलए मडल विरुपक्षप्पा (Madal Virupakshappa) की अग्रिम जमानत याचिका पर फौरन सुनवाई की तारीख मिलने को लेकर चिंता जाहिर की थी.
भाजपा विधायक की अग्रिम जतानत याचिका को स्वीकार करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 7 मार्च के आदेश में विधायक को 5 लाख रुपये के निजी मुचलका भरने और अगले आदेश तक कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट लिमिटेड (केएसडीएल) के कार्यालय में प्रवेश नहीं करने की शर्त पर अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी.
विधायक के आवेदन पर बेंगलुरु की एक सिविल कोर्ट ने भी उनके खिलाफ मीडिया में किसी प्रकार के आरोपों के संबंध में रिपोर्ट करने पर रोक लगा दी थी.