Justice BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीआर गवई अमेरिका में हैं. विदेश में अपने लिए आयोजित सम्मेलन में उन्होंने अपनी दलित पहचान, न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व मिलने एवं सीजेआई के कार्य से जुड़ी बातों पर अपने विचार रखें, बॉम्बे हाईकोर्ट जज बनने का किस्सा भी सुनाया. सम्मेलन न्यूयॉर्क सिटी बार एसोसिएशन (NYCB) ने आयोजित की थी. इससे पहले वे कोलंबिया लॉ कॉलेज भी गए थे, जहां उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की कांस्य प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था. बता दें कि जस्टिस बीआर गवई भारत के अगले सीजेआई बनने की दौड़ में भी शामिल हैं.
न्यूयॉर्क बार सिटी एसोसिएशन द्वारा आयोजित सम्मेलन में जस्टिस बीआर गवई के समक्ष विविधता, समानता और समावेशी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए गए. जस्टिस ने अपने संबोधन में दलित प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा. रिजर्वेशन/ सकारात्मक कदम उठाने की वजह से वे भारत के सुप्रीम कोर्ट जज बनें हैं. वे तय समय से दो वर्ष पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट जज बनाने के लिए सिफारिश की. फलस्वरूप, वे आज सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश की भूमिका निभा रहे हैं.
जस्टिस ने कहा,
“अगर अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व न दिया होता तो शायद दो साल बाद मेरी पदोन्नति होती.”
दो पहले सुप्रीम कोर्ट जज बनने के पीछे का वाक्या तो सुनाया. साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बनने की कहानी भी बताई.
जस्टिस बीआर गवई ने बताया. वकालती दिनों की बात है, साल, 2003 का समय था. उनकी वकालत अच्छी चल रही थी, संयोग से उस समय बॉम्बे हाईकोर्ट में कोई भी दलित जज नहीं थे.
जस्टिस ने कहा,
''उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में मेरी नियुक्ति में यह एक कारक हो सकता है.''
भले ही उन्हे ये मौका मिला हो, लेकिन ये संभव भारतीय संविधान प्रदत शक्तियों और समावेशी नीतियों की वजह से ही हुआ है.
सभा में भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्य को लेकर लोगों ने उत्सुकता जाहिर की, तो जस्टिस बीआर गवई ने कहा. सीजेआई पूरी न्यायापालिका का नेतृत्व करते हैं और इसकी स्वतंत्रता बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
सम्मेलन में न्यूयॉर्क सिटी के सुप्रसिद्ध कानूनविद मौजूद रहे. न्यूयार्क सिटी के पहले लैटिनी मुख्य प्रशासनिक जज जोसेफ जायस मौजूद रहे. वहीं, एशियन-अफ्रीकी मूल की पहिला न्यूयार्क सुप्रीम कोर्ट जज उशीर पंडित दुरंत ने सभा का संचालन किया.