सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल कार्यालयों को दो अलग-अलग याचिकाओं पर नोटिस जारी किया, जिसमें दोनों राज्य के सरकारों ने राज्यपाल पर विधेयकों को मंजूरी नहीं देने के आरोप लगाए हैं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने केरल सरकार की याचिका पर केरल के राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. अदालत ने पश्चिम बंगाल मामले में संबंधित प्रतिवादी को भी नोटिस जारी किया. अदालत ने पश्चिम बंगाल मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की भी स्वतंत्रता दी. अदालत ने संबंधित प्रतिवादी को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा.
पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि जब भी अदालत इसी तरह के मामले की सुनवाई करती है, तो कुछ विधेयकों को मंजूरी दे दी जाती है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तमिलनाडु मामले में भी इसी तरह की चीजें हुई हैं.
केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि ये विधेयक आठ महीने से लंबित हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यपाल द्वारा आठ विधेयकों को मंजूरी न देने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और कहा है कि इससे पश्चिम बंगाल राज्य के निवासी प्रभावित हो रहे हैं, जिनके कल्याण के लिए ये विधेयक पारित किए गए थे. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अधिवक्ता आस्था ने याचिका दायर की थी.
राज्य ने सरकारिया आयोग की सिफारिशों के आलोक में भारत के संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत विधानमंडल द्वारा पारित और स्वीकृति के लिए भेजे गए विधेयकों पर विचार करने के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के लिए बाहरी समय सीमा निर्धारित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की.
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यपाल द्वारा अपने संवैधानिक कार्यों के निर्वहन में हस्ताक्षर के लिए भेजी गई फाइलों, नीतियों और सरकारी आदेशों पर विचार करने के लिए बाहरी समय सीमा निर्धारित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की.
राज्य विधानमंडल ने 8 विधेयकों के प्रावधानों पर विचार-विमर्श किया, उन्हें पारित किया और राज्यपाल के कार्यालय को भेज दिया. याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि काफी समय बीत जाने के बावजूद वे राज्यपाल के कार्यालय में पड़े हैं.
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल कार्यलय को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.