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मेनका गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, चुनाव आयोग और सपा सांसद को जारी किया नोटिस

मेनका गांधी ने सुल्तानपुर सीट से सपा सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और सपा सांसद राम भुआल निषाद को नोटिस कर उनसे अपना पक्ष रखने को कहा है.

Written by Satyam Kumar |Published : January 7, 2025 12:09 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की याचिका पर नोटिस जारी किया है. मेनका गांधी ने सुल्तानपुर सीट से सपा सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और सपा सांसद राम भुआल निषाद को नोटिस कर उनसे अपना पक्ष रखने को कहा है. याचिका में मेनका गांधी ने आरोप लगाया है कि राम भुआल निषाद ने नामांकन के वक़्त दाखिल हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज सभी 12 मुकदमों की जानकारी नहीं दी है. इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की 45 दिन की समयसीमा के बाद दाखिल होने के चलते खारिज कर दिया था.

मेनका गांधी की याचिका पर SC ने जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ के सामने मेनका गांधी की इलेक्शन पिटीशन सुनवाई के लिए लाई गई. मेनका गांधी के सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लुथरा ने दावा किया कि निषाद ने अपने प्रमाणपत्र में चार आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं किया है. अदालत ने इस याचिका पर चुनाव आयोग और सपा सांसद रामभुआल निषाद को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं.

मेनका गांधी ने अपनी चुनाव याचिका के खारिज होने के अलावा, 45 दिन की समय-सीमा की वैधता को चुनौती देने के लिए एक अलग रिट याचिका भी दायर की है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह याचिका न्यायिक मंच से विधायी प्रक्रिया को लागू करने का प्रयास करती है.

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कानून बनाना हमारा काम नहीं: SC

सुनवाई के दौरान मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से एक और मांग की. मेनका गांधी ने एक अलग से दाखिल अर्जी में जनप्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान (सेक्शन 81) को भी चुनौती दी है जिसमे इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की 45 दिन अधिकतम समयसीमा का जिक्र है. याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना हमारा काम नहीं है. इसमे हम दखल नहीं देंगे. कोर्ट के रूख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने अपनी यह मांग वापस ली.

इस वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

अगस्त 2024 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेनका गांधी की चुनाव याचिका को समय-सीमा के उल्लंघन के चलते खारिज कर दिया था. फैसले में कोर्ट ने कहा कि चुनावी याचिका को निर्वाचित उम्मीदवार की चुनाव तिथि से 45 दिन के भीतर दायर किया जाना चाहिए.  जस्टिस राजन रॉय ने यह स्पष्ट किया कि मेनका गांधी ने अपनी याचिका 27 जुलाई, 2024 को दायर की, जबकि निषाद का चुनाव 4 जून को हुआ था.

जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 81 के अनुसार, चुनाव याचिका दायर करने की समय-सीमा का पालन करना अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि अगर कोई याचिका इस धारा के प्रावधानों का पालन नहीं करती है, तो उसे खारिज कर दिया जाएगा. मेनका गांधी की याचिका को भी इसी कारण से खारिज किया गया.

बता दें कि बीते लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने रामभुआल निषाद से 43,174 मतों से हार का सामना करना पड़ा था. इस लोकसभा चुनाव में निषाद ने 4,44,330 वोट प्राप्त किए, जबकि गांधी को 4,01,156 वोट मिले.