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क्या एडॉप्शन डेट सेम रखते हुए आज प्रियंबल बदलाव संभव है? Supreme Court ने सोशलिस्ट और सेकुलर शब्दों को हटाने की मांग पर कहा

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के प्रियंबल से सोशलिस्ट और सेकुलर शब्द हटाने को लेकर रिट याचिका दायर की है.

Written by My Lord Team |Published : February 9, 2024 6:14 PM IST

पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी (Dr. Subramaniam Swamy) ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी. पीआईएल (PIL) में संविधान की प्रस्तावना से 'सोशलिस्ट और सेकुलर' (Socialist and Secular) शब्दों को हटाने की मांग थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या एडॉप्शन डेट (Adoption date) को सेम रखते हुए संविधान की प्रस्तावना (Preamble of Constitution) में बदलाव संभव है. यहां सेम डेट प्रियंबल को अपनाने का दिन यानि 26 नवंबर 1949 है.

Socialist और Secular बाद में जुड़ा

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान दीपंकर दत्ता ने कहा ऐसा नहीं है प्रियंबल में बदलाव नहीं किया जा सकता है. जज ने वकीलों से पूछा कि क्या एकेडेमिक नजरिये से देखें तो क्या संविधान की एडॉप्शन डेट (29 नवंबर, 1949) सेम रखते हुए प्रियंबल में 'सोशलिस्ट और सेकुलर' शब्दों को जोड़ना संभव है. 42वें संविधान संशोधन के दौरान संविधान की प्रियंबल में नए शब्दों को जोड़ते हुए उसे अपनाने की तिथि को सेम रखा गया था. जिस पर जस्टिस ने वकीलों की प्रतिक्रिया मांगी. जबाव में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, कि यही मेरा भी यही प्वाइंट है.

1949 में खुद को अर्पित किया था Preamble

दीपंकर दत्ता ने प्रियंबल के बारे में कहा कि ये अकेला प्रियंबल है जो डेट के साथ है. जस्टिस ने प्रियंबल की आखिरी लाइन में लिखे 'अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं' पर ध्यान दिलाया. जस्टिस इस वक्त संविधान में ये दो शब्द सोशलिस्ट और सेकुलर नहीं था.

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बाबासाहेब ने भी जताई थी असहमति

पूर्व सांसद ने याचिका में साल, 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना में उनकी वैधता के संदर्भ में 'सोशलिस्ट और सेकुलर' शब्द को चुनौती दी है, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में हुआ था. याचिका में ये भी कहा गया है. डॉ. बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) ने सोशलिस्ट और सेकुलर शब्दों को प्रियंबल में जोड़ने से मना करते हुए ये कहा. ये संविधान भारतीय नागरिकों को चुनने के अधिकार से वंचित कर कुछ राजनीतिक विचारधाराओं के लिए लोगों को बाध्य नहीं किया जा सकता है.

याचिका के विरोध में रिट याचिका

राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने को ले रिट याचिका दायर की है. अपने याचिका में सांसद ने कहा कि सोशलिस्ट और सेकुलर शब्द भारतीय संविधान की अंतर्निहित खूबियां है. इन शब्दों को संविधान के प्रियंबल में जोड़ने से कोई बदलाव नहीं हुआ है.