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नासिक दारगाह मामले की 'Listing' नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने Bombay HC से मांगा जबाव, डेमोलिशन पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने नासिक नगर निगम द्वारा हजरत सातपीर सायद बाबा दरगाह को गिराने के विध्वंस नोटिस पर अंतरिम रूप से रोक लगा दी है और बंबई उच्च न्यायालय से उस याचिका को सूचीबद्ध न करने के संबंध में रिपोर्ट मांगी है.

Bombay HC, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : April 18, 2025 7:58 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने नासिक नगर निगम द्वारा हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह को गिराने के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट से दरगाह की याचिका को सूचीबद्ध न करने के संबंध में रिपोर्ट मांगी है. वहीं, सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से कुछ घंटे पहले ही नगर निगम के कर्मचारियों ने डेमोलिशन ड्राइव शुरू किया था. नासिक के काठे गली में दरगाह के खिलाफ नगर निकाय की कार्रवाई कथित तौर पर 15 और 16 अप्रैल की मध्यरात्रि के दौरान की गई थी. शीर्ष न्यायालय में सुनवाई 16 अप्रैल दोपहर को हुई.

21 अप्रैल को अगली तारीख

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि याचिका 7 अप्रैल को हाई कोर्ट के समक्ष दायर की गई थी, लेकिन सुनवाई के लिए नहीं आई. पीठ ने आदेश दिया कि इस बीच नासिक नगर निगम द्वारा जारी 1 अप्रैल, 2025 के नोटिस पर रोक रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम और अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की है.

सुप्रीम कोर्ट के सामने दरगाह प्रबंधन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पाहवा ने दावा किया कि प्रयासों के बावजूद मामला हाई कोर्ट में सूचीबद्ध नहीं किया गया. पीठ ने 16 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि हम दिए गए कथन की स्थिति से अनभिज्ञ हैं और हाई कोर्ट ने बार-बार अनुरोध के बावजूद मामले को सूचीबद्ध नहीं किया होगा. यह एक गंभीर कथन है और अधिवक्ता को इस तरह के कथन के परिणाम की जिम्मेदारी लेनी होगी. इसके बाद शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को याचिका की लिस्टिंग के बारे में एक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया.

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केस लिस्टिंग को लेकर HC से जबाव

सीनियर एडवोकेट पाहवा की ओर से इस मामले में तत्कालिकता की ओर इशारा किया गया, एक धार्मिक संरचना, को ध्वस्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि 7 अप्रैल 2025 को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक रिट याचिका दायर की गई थी और वह 8 अप्रैल से मामले की सूचीबद्ध होने का इंतजार कर रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा,

"यह विशेष रूप से कहा गया है कि हाई कोर्ट ने तब से मामले को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया है.हम समझने में असमर्थ हैं कि 9 अप्रैल से लेकर आज तक क्या हुआ.अधिवक्ता ने कहा है कि वे हर दिन प्रयास कर रहे हैं."

इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम को नोटिस जारी किया और बॉम्बे हाई कोर्ट से लिस्टिंग के मामले पर जबाव मांगा है.