सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेड़कर को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने के अपने आदेश के समय को आगे बढ़ा दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर को तीन सप्ताह आगे तक राहत देने के लिए एक शर्त भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी से राहत का फैसला तब तक मिलता रहेगा, जब तक कि वह पुलिस जांच में सहयोग करेगी. बता दें कि पूजा खेडकर पर यूपीएससी में फेक सर्टिफिकेट के आधार पर आरक्षण का लाभ लेने का आरोप लगा है. इसी मामले में उन पर FIR दर्ज की गई है, जिसमें उन्होंने गिरफ्तारी से अंतरिम की राहत की मांग की है. आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्टन ने इस मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए क्यों टाल दी है.
जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू की मांग पर दिल्ली पुलिस को खेड़कर के द्वारा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए और समय दिया.
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा,
"तीन सप्ताह बाद सुनवाई की तारीख तय करें. तब तक अंतरिम सुरक्षा जारी रहेगी, बशर्ते वह जांच में सहयोग कर रही हो,"
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर की अंतरिम राहत की समयसीमा बढ़ाते हुए मामले को 18 मार्च के लिए सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. इससे पहले भी, मामले की सुनवाई के दौरान, सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पूजा खेड़कर को पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया है और वह सहयोग करने के लिए तैयार हैं. पिछली सुनवाई में, सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि अगले सुनवाई तक खेड़कर के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा.
पूजा खेड़कर पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और बेंचमार्क विकलांगता के लिए तय आरक्षण का धोखाधड़ी से लाभ उठाने का आरोप है. इस मामले में पहले प्रशिक्षु आईएएस के खिलाफ यूपीएससी ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है और इसी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पूजा खेडकर ने अंतरिम जमानत की मांग की है.
अंतरिम जमानत की मांग को लेकर पूजा खेडकर ने सबसे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने anticipatory bail की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह "धोखाधड़ी का एक क्लासिक उदाहरण" है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जांच आवश्यक है ताकि साजिश का खुलासा किया जा सके. दिल्ली हाई कोर्ट के इसी फैसले को पूजा खेडकर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.