सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह सामान्य श्रेणी में आंखों की कम रोशनी वाली एक महिला को राज्य में दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ संभाग) के पद पर नियुक्त करे. रेखा शर्मा, एक दृष्टिबाधित महिला, राजस्थान में दीवानी न्यायाधीश के पद के लिए योग्य थीं, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए, अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राजस्थान हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि उन्हें या तो एक अतिरिक्त सीट बनाकर या मौजूदा रिक्तियों में समायोजित करके नियुक्त किया जाए.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए हाई कोर्ट से कहा कि वह सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाली रेखा शर्मा को या तो दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ संभाग) के रूप में नियुक्त करे या (उनकी खातिर) एक अतिरिक्त सीट सृजित करे. संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए कोई भी आदेश पारित करने के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करता है. अधिसंख्य सीट भविष्य में रोजगार प्रदान करने के लिए स्वीकृत पदों के अतिरिक्त एक सीट है.
शर्मा की ओर से पेश अधिवक्ता तल्हा अब्दुल रहमान ने कहा कि राजस्थान न्यायपालिका ने मानक अनुरूप विकलांगता (पीडब्ल्यूबीडी) वाले उम्मीदवारों के लिए नौ पद तथा दृष्टिहीनता और आंखों की कम रोशनी वाले व्यक्तियों के लिए दो पद आरक्षित किए हैं. उन्होंने कहा कि शर्मा को (प्रतियोगी परीक्षा में) 119 अंक मिले थे, जो दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम योग्यता अंकों से अधिक थे, उसके बाद भी उन्हें न्यायिक अधिकारी के रूप में नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि कुल नौ रिक्तियों के मुकाबले पीडब्ल्यूबीडी श्रेणी में केवल दो उम्मीदवारों का ही चयन किया गया और शर्मा को सेवा में शामिल किया जा सकता था.
पीठ ने शर्मा की इन दलीलों पर गौर किया कि हाई कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित सीट दिव्यांग और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को दे दी, जिन्हें उनकी अपनी आरक्षित श्रेणी में शामिल किया जा सकता था.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा,
‘‘संविधान के अनुच्छेद 142 के उद्देश्य और मंशा को ध्यान में रखते हुए, हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ संभाग) के रूप में नियुक्त किया जाए.’’
पीठ ने कहा कि ऐसा या तो अतिरिक्त सीट बनाकर किया जाए या विकलांग उम्मीदवारों के लिए खाली पदों पर उम्मीदवार को समायोजित करके किया जाए और अगले चक्र में उसे आगे बढ़ाया जाए.
(खबर PTI इनपुट से है)