Advertisement

घर का पता लगाने की जरूरत नहीं... SC ने असम सरकार को अवैध प्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने का दिया आदेश

असम के निरोध केन्द्र में लंबे समय से बंद अवैध घुसपैठियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार विदेशी घोषित किए जाने के बाद उन्हें तुरंत निर्वासित किया जाना चाहिए. कोर्ट ने राज्य को निर्वासन प्रक्रिया शुरू करने, राष्ट्रीयता सत्यापन पर हलफनामा दाखिल करने और हिरासत केंद्रों में उचित स्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी.

Written by Satyam Kumar |Published : February 5, 2025 10:13 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में असम सरकार पर अवैध प्रवासियों को अनिश्चितकालीन समय तक निरोध केंद्रों में रखने के लिए कड़ी टिप्पणी की है. न्यायालय ने असम के मुख्य सचिव से कहा कि जब इन लोगों को विदेशी माना गया है, तो उन्हें तुरंत निर्वासित किया जाना चाहिए. सरकार को उनके घर का पता लगने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए. सुनवाई के दौरान असम के मुख्य सचिव वर्चुअल तरीके से अदालत के समक्ष मौजूद रहें.

घर का पता लगने की प्रतीक्षा ना करें: SC

जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयन की पीठ ने स्पष्ट किया कि अवैध प्रवासियों के विदेशी नागरिकता की स्थिति को जानने के बाद, सरकार को उनके पते की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए. यह दूसरे देश का काम है कि वह तय करे कि उन्हें कहां भेजा जाए. जस्टिस ओका ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित किया जाता है, तो उसके बाद का तार्किक कदम निर्वासन है. 

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिया कि वे निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करें, भले ही उन लोगों के पते उपलब्ध न हों जो निरोध केंद्रों में हैं. इसके साथ ही, सरकार को दो सप्ताह के भीतर राष्ट्रीयता सत्यापन प्रक्रिया पर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि उन्होंने असम सरकार के उच्च अधिकारियों से बात की है और इस मामले पर आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया.

Also Read

More News

कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिया है कि वह निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करे, भले ही हिरासत केंद्रों में बंद व्यक्तियों के पते उपलब्ध न हों. अदालत ने असम सरकार को यह भी कहा है कि वह एक अधिकारी समिति का गठन करे, जो निरोध केंद्रों का दौरा करके सुनिश्चित करे कि सभी सुविधाएं ठीक से बनाए रखी जा रही हैं. अब इस मामले की सुनवाई 25 फरवरी को होगी.

अवैध घुसपैठियों को वापस भेजे सरकार

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को अनिश्चितकाल के लिए निरोध केंद्रों में क्यों रखा गया है, जबकि उन्होंने विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत अपनी सजा पूरी कर ली है. अदालत ने केन्द्र सरकार से यह जानकारी मांगी है कि कितने अवैध प्रवासी विभिन्न निरोध केंद्रों (Detention Centre) में हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि जब बांग्लादेश का कोई अवैध प्रवासी किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो क्या यह स्पष्ट नहीं है कि वह भारत का नागरिक नहीं है? यह सवाल अवैध प्रवासियों को निरोध केंद्रों में रखने के उद्देश्य पर भी है.