सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने किसानों की शिकायतों पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें कृषि संकट के प्रमुख कारणों का विश्लेषण किया गया है. पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में बनी इस समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी मान्यता देने और प्रत्यक्ष आय सहायता की संभावनाओं की जांच करने का सुझाव दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पंजाब और हरियाणा में कृषक समुदाय पिछले दो दशकों से बढ़ते संकट का सामना कर रहा है. कृषि संकट का एक मुख्य कारण 1990 के दशक के मध्य से उपज और उत्पादन वृद्धि में स्थिरता का होना बताया गया है. समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और कृषि विशेषज्ञ शामिल हैं, जो किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए काम कर रहे हैं.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को अंतरिम रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और समिति के प्रयासों और जांच के लिए मुद्दों को तैयार करने तथा आंदोलन को शांत कराने में मदद करने के लिए उसकी प्रशंसा की. समिति का गठन करते समय उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि किसानों के विरोध का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. शंभू सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में दो सितंबर को गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी मान्यता और प्रत्यक्ष आय सहायता देने की संभावना की जांच करने सहित विभिन्न प्रकार के समाधान भी सुझाए.
अपनी 11 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट में समिति ने कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि देश में सामान्य रूप से कृषक समुदाय, विशेषकर पंजाब और हरियाणा में, पिछले दो दशक से अधिक समय से लगातार बढ़ते संकट का सामना कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हरित क्रांति के प्रारंभिक उच्च लाभ के बाद 1990 के दशक के मध्य से उपज और उत्पादन वृद्धि में स्थिरता, संकट की शुरुआत का संकेत थी. समिति ने कहा कि हाल के दशकों में किसानों और कृषि श्रमिकों पर कर्ज कई गुना बढ़ गया है. समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बी.एस. संधू, मोहाली निवासी देविंदर शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमन और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह भी शामिल थे.