सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को टेलीकॉम कंपनियों के पक्ष में दिए गए फैसले का इंडस्ट्री को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को टावरों, टावर पार्ट्स, शेल्टर्स पर भुगतान की गई ड्यूटी और सेल्युलर सर्विसेज के लिए दिए गए सर्विस टैक्स के लिए टैक्स क्रेडिट को क्लेम करने की मंजूरी दी है. इस फैसले का फायदा भारती एयरटेल, वोडाफोन, टाटा टेलीसर्विसेज और इंडस टावर्स को होगा.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने पारित किया है. जस्टिस सिंह ने कहा कि हमने मुख्य मामले के साथ-साथ कंपनियों द्वारा संबंधित मामलों में अपील को अनुमति दी है. हमने 2021 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है और भारती एयरटेल मामले में 2014 के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से न केवल उद्योग को अनुपालन पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि इस क्षेत्र पर वित्तीय बोझ कम करने में भी मदद मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में बॉम्बे उच्च न्यायालय के पिछले निर्णय को पलट दिया, जिसने इन वस्तुओं को गैर-पूंजीगत वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत किया था. इसने टेलीकॉम ऑपरेटरों को भुगतान किए गए शुल्कों के लिए "सेनवैट क्रेडिट" से वंचित कर दिया था.
सेनवैट क्रेडिट से मतलब उस सेट-ऑफ से है, जो निर्माताओं को उनके उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग के लिए कुछ विशिष्ट इनपुट का उपयोग करने पर उपलब्ध होता है. डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (डीआईपीए) के महानिदेशक मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह फैसला इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स को महत्वपूर्ण वित्तीय राहत प्रदान करता है, जो भारत की डिजिटल क्रांति की रीढ़ हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स की वित्तीय सेहत में उल्लेखनीय सुधार आएगा, जिससे वे पूरे भारत में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में तेजी ला सकेंगे। यह ऐसे महत्वपूर्ण समय में आया है जब हमारा देश 5जी विस्तार, डिजिटल परिवर्तन और 6जी स्टैक के तेज व्यावसायीकरण की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है.
(खबर IANS इनपुट के आधार पर लिखी गई है)