Sandeshkhali Violence: पश्चिम बंगाल ने संदेशखाली हिंसा की CBI जांच पर रोक लगाने की मांग की. इस मांग को लागू कराने के लिए ममता सरकार विशेष अनुमति याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि राज्य कैसे प्राइवेट पार्टी (शाहजहां शेख) पर हो रही सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग कर रहा है? राज्य ने जवाब देने के लिए दो से तीन हफ्ते की समय की मांग की है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लोकसभा चुनाव के समाप्त होने तक टाल दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए है.
संदेशखाली हिंसा का मास्टरमाइंड शाहजहां शेख है. इस टीएमसी नेता पर महिलाओं के साथ यौन-उत्पीड़न एवं अवैध तरीकों से जमीन कब्जाने के आरोप लगे हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस जांच को सीबीआई को सौंप दिया था. साथ ही शाहजहां शेख की रिमांड को बंगाल पुलिस से लेकर CBI को सौंपा था. कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वे इस जांच की निगरानी खुद करेंगे. ममता सरकार ने इसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सुना. बेंच ने राज्य के रवैये पर आपत्ति जताई. बेंच ने सीबीआई जांच जारी रखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.
बेंच ने कहा,
"राज्य कैसे एक प्राइवेट पार्टी के मामले में विशेष अनुमति याचिका लेकर आई है, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है."
अभिषेक मनु सिंघवी, जो राज्य का पक्ष रख रहे हैं, ने जवाब के लिए दो-तीन सप्ताह की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जुलाई के लिए टाल दिया है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्टस के आधार पर संदेशखाली में हुई घटना को स्वत: संज्ञान में लिया है. मीडिया रिपोर्टस के हवाले से महिलाओं के साथ यौन शोषण और आदिवासियों की जमीनों को जबरदस्ती से हथियाने की घटना सामने आई थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले को सख्ती से लेते हुए शाहजहां शेख पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
नोट: यह खबर हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे मीडिया के छात्र सत्यम कुमार ने लिखी है.