पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार सख्त रूख अपनाए हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को पंजाब सरकार की फंड की मांग पर जवाब तलब करते हुए निर्देश दिया कि वे जल्द ही इस पर अपना कोई फैसला करें. पंजाब सरकार को ये फंड पराली जलाने के मामलों से निपटने के लिए चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा था कि राज्य ने किसानों को ट्रैक्टर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र से धनराशि मांगने का कोई प्रयास नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ पराली जलाने के मामले की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि पंजाब सरकार ने आपसे फंड की मांग की है.आप या तो स्वीकार करें या खारिज कर दे, आप उसको यूं ही पेंडिंग नहीं रख सकते. कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब सरकार की मांग पर एक हफ्ते में फैसला लेने को कहा है, साथ ही 14 नवंबर तक इस आदेश पर अमल को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा सरकार से भी पिछले 10 दिनों में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर बैन के बावजूद इस बार दीपवाली में पटाखों चलाये जाने पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली सरकार से पूछना चाहते है कि आखिर बैन के बावजूद पटाखों कैसे चलाये गए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दायर कर जवाब देने को कहा है. हलफनामा में दिल्ली सरकार और पुलिस को हलफनामा दाखिल कर बताना है कि अगले साल पटाखों पर बैन सुनिश्चित करने के लिए उनकी ओर से क्या कदम उठाए गए है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमिकस क्यूरी ने CEC की जिस रिपोर्ट का हवाला दिया है , उससे साफ है कि पटाखों पर बैन के आदेश पर अमल नहीं हुआ. दीवाली की रात प्रदूषण का स्तर पिछले सालों की तुलना में कहीं ज़्यादा था. बहस के दौरान केन्द्र सरकार ने कहा कि वे जल्द पर्यावरण अधिनियम, 1986 की धारा 15 में संशोधन को लेकर अधिसूचना जारी करेंगे. बता Environment Act, 1986 की धारा 15 पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में सजा का प्रावधान करती है.
पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने नियमों की अनदेखी व पराली जलाने वालों के खिलाफ सजगता से कार्रवाई नहीं करने को लेकर पंजाब और हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव को जमकर फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों ने पराली जलाने वालों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की है, जिससे पराली जलाने के मामले में कोई कमी हुई. सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संबंधी कानून को ‘दंतहीन’ बनाने के लिए केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधी सीएक्यूएम अधिनियम के प्रावधान को लागू नहीं किया गया है.