SixtyFive Per Cent Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी यादव की याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही मामले को बिहार सरकार की याचिका के साथ संलग्न करने को कहा है. तेजस्वी यादव ने अपनी याचिका में वंचित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लिए 65% आरक्षण की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले में सुनवाई. पीठ ने राजद नेता व बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले को आगे के लिए टाल दिया है. आसार है कि ये सुनवाई दशहरे की छुट्टी के बाद होगी. सीजेआई ने मामले को बिहार सरकार की याचिका के साथ इसे संलग्न करने के आदेश भी दिए हैं.
तेजस्वी यादव ने अपनी याचिका में मांग की है कि तमिलनाडु के जैसे ही बिहार में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू हो और इसे नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए जिससे न्यायपालिका के सामने किसी तरह की चुनौती न आए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है.
पटना हाईकोर्ट ने सरकार के इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 का उल्लंघन करनेवाला बताया, जिसके चलते बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों के आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 ने इस कानून को रद्द कर दिया था. पटना हाईकोर्ट फैसले में कहा था कि राज्य विधानमंडल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से व्याख्या की गई संवैधानिक योजना पर फिर से कानून बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इंद्रा साहनी और अन्य मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए, पीठ ने कहा कि 50% से अधिक आरक्षण समानता के संवैधानिक मानदंड का उल्लंघन होगा.
बिहार सरकार ने जून 2022 से अगस्त 2023 के दौरान हुए बिहार जातीय सर्वेक्षण के आंकड़ों का आधार पर ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के लिए
शिक्षण संस्थानों में और सरकारी नौकरी में रिजर्वेशन की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया था.
इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि रिजर्वेशन की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती है.