दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने बुधवार (21 फरवरी 2024) को सुप्रीम कोर्ट बार एशोसिएशन (SCBA) से जुड़े मुद्दों पर निर्देश देने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया. याचिका में SCBA की आम सभा बुलाने (General Body Meeting) और कार्यकारी समिति (Executive Committee) में महिला वकीलों के लिए कम से कम दो सीट रिजर्व (Two Seats Reserve For Women Advocate) करने के मुद्दे पर निर्देश देने की मांग थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में जब याचिका पर सुनवाई होनी थी, तब जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद (Subramonium Prasad) ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया. जस्टिस ने कारण बताते हुए कहा कि वे वकालत करने के दौरान SCBA के सदस्य रह चुके हैं. अब इस मामले को दूसरे बेंच के सामने पेश किया जाएगा. अगली सुनवाई 26 फरवरी, 2024 के दिन होगी.
यह याचिका एडवोकेट योगमाया एमजी (Yogmaya MG) ने दायर की. एडवोकेट ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और SCBA के प्रेसिडेंट को एक चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में SCBA की आम सभा की बैठक बुलाने का निवेदन किया गया है. एडवोकेट ने SCBA के नियमों और अधिनियमों में बदलाव कर इसकी वर्तमान कार्यकारी समिति में दो महिला वकील के लिए सीट रिजर्व करने की मांग की है. एडवोकेट को इस मामले में कोई जबाव नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से दिशानिर्देश करने की मांग की है.
याचिकाकर्ता ने बताया. इस साल SCBA की कार्यकारी समिति के 11 पदों के लिए चुनाव हुई. इन ग्यारह सीटों पर एक भी महिला सदस्य चुनकर नहीं आई. समिति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस रिजर्वेशन की मांग की गई है जिसके लिए SCBA की बैठक जरूरी है, ताकि नियमों में सबकी सहमति से ये बदलाव आए.