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SC ने संजय मिश्रा को ED निर्देशक के पद पर 15 सितंबर तक रहने की इजाज़त दी, कहा 'इससे आगे कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा'

संजय कुमार मिश्रा को उच्चतम न्यायालय ने 15 सितंबर, 2023 तक ईडी निदेशक के पद पर रहने की अनुमति दे दी है। अदालत ने केंद्र के सामने कुछ अहम सवाल भी रखे हैं..

Sanjay Kumar Mishra Term Extended

Written by Ananya Srivastava |Updated : July 27, 2023 5:07 PM IST

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक, संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार पर कुछ समय पहले उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि 31 जुलाई, 2023 तक नए निदेशक की नियुक्ति हो जानी चाहिए। केंद्र ने एक बार फिर संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने हेतु याचिका दायर की जिसपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है।

ईडी निदेशक एस के मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के सरकार के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय ने कहा : क्या पूरा विभाग अक्षम अधिकारियों से भरा हुआ है। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा- वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की समीक्षा को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय के नेतृत्व में निरंतरता आवश्यक है।

सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा, 'ईडी निदेशक मिश्रा अपरिहार्य नहीं हैं, लेकिन वित्तीय कार्रवाई कार्य बल समीक्षा कवायद के लिए उनकी मौजूदगी आवश्यक है'। केंद्र ने कहा, 'कुछ पड़ोसी देशों की मंशा है कि भारत एफएटीएफ की 'संदिग्ध सूची' में आ जाए और इसलिए ईडी प्रमुख पद पर निरंतरता जरूरी है।'

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कोर्ट ने SG तुषार मेहता के इस बयान को आदेश में दर्ज किया कि मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइंसिग ED की जांच में दायरे में आती है। FATF को इन पहलुओं की भी समीक्षा करनी है। भारत की रेटिंग बेहतर रहे, इसके लिए नेतृत्व में निरंतरता ज़रूरी है.

केंद्र ने दायर की थी याचिका

बता दें कि उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को ‘‘अवैध’’ ठहराये जाने के कुछ दिन बाद केंद्र ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की समीक्षा जारी रहने के मद्देनजर उन्हें 15 अक्टूबर तक पद पर बने रहने की अनुमति देने के लिए बुधवार को शीर्ष अदालत का रुख किया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ को बताया कि सरकार ने शीर्ष अदालत के 11 जुलाई के फैसले में संशोधन के लिए एक आवेदन दायर किया।

मेहता ने पीठ से कहा था, ‘‘इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्कता है। हम इस आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हैं।’’ न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि 11 जुलाई का फैसला तीन न्यायाधीशों की पीठों ने सुनाया था, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल भी शामिल थे और फिलहाल वे अलग-अलग पीठ का हिस्सा हैं।