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संभल में प्रॉपर्टी डेमोलिशन कर अदालत के फैसले की हुई अनदेखी, अवमानना याचिका पर SC में आज टल गई सुनवाई

याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर के वकील ने व्यक्तिगत परेशानी का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए स्थगन की मांग की, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संभल में संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में अवमानना कार्यवाही की याचिका पर एक सप्ताह बाद सुनवाई करने का निर्णय लिया है

Written by My Lord Team |Published : January 24, 2025 2:38 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह संभल में संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में अपने आदेश के कथित उल्लंघन के लिए प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की अनुरोध वाली याचिका पर एक सप्ताह बाद सुनवाई करेगा.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका को. याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर की ओर से पेश हुए वकील ने सुनवाई के लिए कुछ समय का स्थगन मांगा और कहा कि बहस करने वाले वकील व्यक्तिगत परेशानी में हैं. उन्होंने पीठ से मामले को एक सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा कि याचिका एक सप्ताह बाद सुनवाई के लिए पेश की जाए.

अधिवक्ता चांद कुरैशी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के 13 नवंबर के फैसले का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. इस फैसले में अखिल भारतीय दिशा-निर्देश निर्धारित करके कहा गया था कि बिना कारण बताओ नोटिस के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए और प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए. याचिका में यह भी दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश के संभल में अधिकारियों ने याचिकाकर्ता या उसके परिवार के सदस्यों को कोई पूर्व सूचना और अवसर दिए बिना 10-11 जनवरी को उसकी संपत्ति के एक हिस्से पर बुलडोजर चला दिया.

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याचिका में कहा गया है,

“याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसके और परिवार के सदस्यों के पास संपत्ति के सभी आवश्यक दस्तावेज, स्वीकृत नक्शे और अन्य संबंधित दस्तावेज थे, लेकिन अवमानना ​​करने वाले अधिकारी याचिकाकर्ता की संपत्ति के परिसर में आए और उक्त संपत्ति को ध्वस्त करना शुरू कर दिया.”

नवंबर 2024 के अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कई निर्देश पारित करते हुए स्पष्ट किया था कि अगर सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकायों जैसे सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है तो ये निर्देश लागू नहीं होंगे और उन मामलों में भी लागू नहीं होंगे जहां अदालत ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया हो.

(खबर एजेंसी इनपुट से है)